सेना ने जम्मू कश्मीर के लाल चौक में घेराव और तलाशी अभियान (CASO) शुरू कर दिया है. इस अभियान के तहत स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप और सुरक्षा बलों के जवान बड़ी तादाद में तैनात किए गए हैं. आपको बता दें कि लाल चौक श्रीनगर का संवेदनशील इलाका माना जाता है, यहां कई बार देश विरोधी प्रदर्शन होते आए हैं.
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इलाके में आतंकियों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी के बाद सेना ने यह कदम उठाया है. लाल चौक के कोर्ट रोड और बूंद इलाके में यह सर्च ऑपरेशन चलाया गया है.
क्या है CASO
जम्मू कश्मीर में बढ़ते तनाव के बीच घाटी में आतंकवाद के खात्मे के लिए सेना ने कमर कस ली है. पिछले माह घाटी में 15 साल बाद सेना ने ‘कासो’ का फिर से इस्तेमाल शुरू किया था. कासो का मतलब ‘घेरा डालना और तलाशी अभियान’ है. हाल के दिनों में घाटी में बढ़े आतंकी हमलों और अलगाववादी कदमों के बाद सेना ने इसका इस्तेमाल फिर से शुरू किया है. शोपियां, त्राल समेत दक्षिण कश्मीर के कई इलाकों में सेना ने कासो के जरिए आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाया था.
सख्त विरोध के बाद हुआ था बंद
सेना ने स्थानीय आबादी के सख्त विरोध और उन्हें होने वाली असुविधा के बाद कासो को बंद कर दिया था. 2001 के बाद सिर्फ विशेष खुफिया सूचना मिलने पर ही घेरा डालने और तलाशी अभियान चलाया जाता था. इस अभियान के दौरान स्थानीय जनता को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था. हालांकि, सुरक्षा प्रतिष्ठानों को लगता है कि ऐसे अभियानों के दौरान होने वाली दिक्कतों की वजह से सुरक्षा बल स्थानीय आबादी से अलग पड़ जाते हैं.
उमर फयाज़ की मौत के बाद एक्शन
हाल ही में सेना के युवा अधिकारी लेफ्टिनेंट उमर फयाज़ की शोपियां में हत्या कर दी गई थी. इस हत्या को ध्यान में रखकर कासो को फिर से शुरू करने का फैसला किया गया था. पिछले कुछ महीनों में, आतंकवादियों ने कई इलाकों में बैंकों को भी लूटा . सुरक्षाबलों को मार डाला और उनके हथियार छीन लिए थे.
शोपियां में चला था बड़ा सर्च ऑपरेशन
पिछले माह कासो के जरिए शोपियां में सशस्त्र बलों ने 4000 सैनिकों के सहारे एक बड़ा अभियान चलाया था. जिससे रणनीति में बदलाव का संकेत मिला था. सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने साफ ऐलान किया था जब कश्मीर में हमारे सैनिकों पर पत्थर चल रहे हों और गोलियां चल रही हों तो हम उन्हें चुपचाप खड़े रहने को नहीं कह सकते.