बरेली हाईवे अधिग्रहण घोटाला में 19 लोग शासन के रडार पर हैं। पूरे प्रदेश में इनके नाम जारी मुआवजा राशि के मामलों की पड़ताल होगी।
बरेली-पीलीभीत-सितारगंज हाईवे और बरेली रिंग रोड के लिए जमीन अधिग्रहण में हुए घोटाले में लगातार नई-नई परतें खुलती जा रही हैं। इनमें 50 लाख रुपये से ज्यादा मुआवजा जिन लोगों को मिला है, उनके मामलों में नए सिरे से जांच होगी। मुआवजा लेने वाले 19 लोग ऐसे चिह्नित किए गए हैं, जो संबंधित जिलों के रहने वाले नहीं हैं। इनके मामले में यह देखा जाएगा कि इन्होंने यूपी में और कहां-कहां हाईवे में गई जमीन का मुआवजा लिया है।
बरेली, पीलीभीत और उधमसिंहनगर (उत्तराखंड) में जमीन अधिग्रहण के नाम पर 200 करोड़ रुपये का घपला अभी तक सामने आ चुका है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के तत्कालीन क्षेत्रीय अधिकारी और परियोजना निदेशक (पीडी) की मिलीभगत से यहां बाहरी लोगों ने जमीनें खरीदीं।
जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना की कार्यवाही के दौरान राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों से साठगांठ करके भू उपयोग परिवर्तन भी कराया। इसलिए शासन ने फैसला किया है कि इस अधिग्रहण में जिसे भी परिसंपत्तियों (स्ट्रक्चर) के लिए 20 लाख रुपये या उससे ज्यादा का मुआवजा मिला है, उन फाइलों की भी नए सिरे से जांच कराई जाएगी।
घपला करने वालों पर चलेगा आपराधिक मुकदमा
शासन के सूत्रों के मुताबिक सरकार पूरे मामले में निगरानी और ऐसे मामलों को रोकने के उपायों पर विचार के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन करेगी। घोटाले में जिन भी निजी लोगों या सरकारी कर्मचारियों का हाथ सामने आएगा, उन सभी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलेगा।