बिहार में कई पुल गिरने के बाद अररिया का एक पुल ऐसा भी सामने आया था, जो खेत में है। आज ‘अमर उजाला’ सामने ला रहा ऐसा पुल, जो 15 साल पहले बना और विधानसभा चुनाव क्षेत्र के सीमा विवाद में रास्ता बनाए बगैर ही रह गया।
15 साल पहले तत्कालीन भाजपा विधायक स्व संजीव झा के मद से बीच खेत में एक पुल बना दिया गया। लेकिन दो विधानसभा महिषी और कहरा विधानसभा के सीमा पर पुल बनने के बाद दोनो विधानसभा के किसी भी जनप्रतिनिधि ने संपर्क पथ बनाने की दिशा में काम करना तो दूर लाखों की लागत से बने पुल को देखना तक मुनासिब नहीं समझा।
सहरसा सुपौल मुख्य मार्ग से जोड़ने के लिए खेत में ही कर दिया पुल का निर्माण
सहरसा जिले के महिषी और कहरा विधानसभा के सीमा पर स्थित लालगंज गांव को सहरसा सुपौल मुख्य मार्ग से जोड़ने के लिए खेत में ही पुल का निर्माण कर दिया गया, लेकिन दोनो तरफ पहुंच पथ का निर्माण ही नही हुआ।
इस कारण यह पुल लोगों के लिए व्यर्थ साबित हो रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि तत्कालीन भाजपा विधायक स्व संजीव झा के कार्यकाल (2005-2010) के अंतिम काल में इस पुल का निर्माण उनके विधायक योजना से हुआ था, जिसमें पहुंच पथ भी बनना था। सहरसा सुपौल मुख्य मार्ग से पुल तक सड़क के लिए मिट्टी भी गिरा था। कुछ दिन बाद चुनाव हुआ और वह चुनाव हार गए। इसके बाद कुछ नही हुआ। अब पुल व्यर्थ साबित हो रहा है। लोगों का कहना है कि पुल के पश्चिम भाग के बाद दूसरे विधानसभा महिषी में आता है। उधर भी सड़क का निर्माण नही हुआ है, जिसके कारण आधा किलोमीटर की दूरी के बदले गांव के लोगो को दो से तीन किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ता है।
सीमा विवाद के कारण रोड बन गया जंगल
दो विधानसभा और दो पंचायत के बीच फसा यह सड़क और पुल जंगल में तब्दील हो गया है। जबकि लालगंज का यह मुख्य सड़क है। स्थानीय उमाकांत पाठक, सतनजीव पाठक, शोभाकांत पाठक, मनोज कुमार ने बताया कि यह गांव का मुख्य सड़क था। बीते दस साल से यह सड़क जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण मृतपाय हो गया। दो विधानसभा के बीच पड़ने के कारण दोनो विधायक भी नजर देना उचित नही समझते है तो दो पंचायत रहूआ और लालगंज पंचायत के बीच पड़ने के कारण भी कोई पंचायत स्तरीय जनप्रतिनिधि भी इस दिशा में कोई पहल नहीं करते हैं।
स्थानीय लोगों ने कहा कि विधायक, सांसद से निर्माण के लिए गुहार लगाते लगाते थक गए हैं। वही लालगंज पंचायत के वार्ड 13 के वार्ड सदस्य प्रमोद पाठक कहते हैं कि तत्कालीन विधायक स्व संजीव झा के कार्यकाल समाप्त होने के बाद इस सड़क और पुल को अपने खुद के अस्तित्व पर छोड़ दिया गया है। वही दो पंचायत जिसमे लगभग डेढ़ सौ गज रहुआ पंचायत जो कि कहरा प्रखंड में आता है और बाकी लालगंज पंचायत जो कि सत्तरकट्टैया प्रखंड में आता है। दोनो पंचायत के भी आपसी सामंजस्य नहीं होने के कारण यह पुल सड़क के बिना बेकार साबित हो रहा है।