पूरे जीवन साहित्य को समर्पित रहे सुरजीत पातर का जन्म 14 जनवरी 1941 को जालंधर जिले के गांव पत्तड़ कलां में हुआ था। उनका अंतिम संस्कार सोमवार को किया जाएगा।
पंजाब के प्रसिद्ध कवि और साहित्यकार सुरजीत पातर का निधन हो गया है। लुधियाना स्थित घर में उन्होंने अंतिम सांस ली। रात को ठीक ठाक सोए थे, सुबह उठे ही नहीं।
पदमश्री साहित्यकार सुरजीत पातर ने गांव पत्तड़ कलां के स्कूल में चौथी कक्षा तक की पढ़ाई की। इसके बाद दूसरे गांव खैरा माझा से हाईस्कूल तक की पढ़ाई की। जीएनडीयू से स्नातक के बाद पंजाब के नामवर कवि व साहित्यकार बने।
पातर के बेटे के आस्ट्रेलिया से लौटने के बाद सोमवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। पातर के शव को डीएमसी की मोर्चरी में रखवा दिया गया है।
नेताओं ने जताया शोक
पातर के निधन पर पंजाब के नेताओं ने शोक जताया है। सीएम भगवंत मान ने एक्स पर लिखा-पंजाबी भाषा के गौरवशाली सपूत सुरजीत पातर के अचानक निधन पर बेहद दुख है।
पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पातर के निधन को एक युग का अंत बताया और उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना जताई। कैप्टन ने कहा कि पंजाब ने आज एक आइकन खो दिया है।
पंजाब कांग्रेस के प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने पोस्ट किया- पंजाबी मातृभाषा की सेवा करके उसे विश्व मानचित्र पर चमकाने वाले हमारे प्रिय पद्मश्री सुरजीत पातर का निधन अत्यंत दुखद है। यह पंजाबी साहित्य के लिए एक अपूरणीय क्षति भी है। इस दुःख की घड़ी में परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। ईश्वर उस महान आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें।
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