दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल का इस्तेमाल करोड़ों लोग करते हैं। गूगल की प्राइवेसी को अन्य सर्च इंजन से बेहतर माना जाता है। लेकिन अब Google ने कथित तौर पर एक मुकदमे को निपटाने के लिए अरबों डेटा रिकॉर्ड को रिमूव करने के लिए हां कर दिया है। दावा किया गया है कि गूगल ने यूजर्स के इंटरनेट उपयोग पर उनकी परमिशन के बिना नजर रखी।
क्या है पूरा मामला?
गूगल के खिलाफ किए गए मुकदमे में कहा गया था कि गूगल यूजर्स के इंटरनेट उपयोग पर नजर रखता है। यूजर्स को लगता है कि वे सेफ ब्राउजिंग कर रहे हैं। लेकिन असल में ऐसा होता नहीं है बल्कि गोपनीयता के आश्वासन के बावजूद Google यूजर्स के निजी ब्राउजिंग मोड को ट्रैक करता है।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि गूगल के एनालिटिक्स, कुकीज और ऐप्स अल्फाबेट यूनिट्स लोगों को गलत तरीके से ट्रैक करते हैं। इतना ही नहीं इनकॉग्निटो मोड का इस्तेमाल करने वालों पर भी गूगल नजर रखता है। जिसके कारण उनकी पसंद के भोजन फैशन सहित कई अन्य चीजों के बारे में उसे पता चल जाता है।
गूगल समझौते के लिए तैयार
रिपोर्ट के मुताबिक गूगल समझौते के लिए तैयार हो गया है। गूगल के द्वारा ये शर्त 1 अप्रैल को ओकलैंड, कैलिफोर्निया संघीय अदालत में दायर की गई हैं। वकीलों ने मुकदमा करने वाले व्यक्ति के लिए समझौते का मूल्य $5 बिलियन से अधिक और $7.8 बिलियन तक रखा। हालाँकि उपयोगकर्ता को हर्जाना नहीं मिलेगा। कहा गया है कि वह अब भी हर्जाने के लिए व्यक्तिगत रूप से मुकदमा कर सकता है।
भले ही गूगल समझौते की शर्तों के लिए मान गया है। लेकिन फिर भी उसने गलती स्वीकार नहीं की है। गूगल ने कहा कि उपयोगकर्ता के द्वारा डेटा एकत्रित करने को लेकर किए गए दावे पूरी तरह से गलत हैं।
गूगल रिमूव करेगा डेटा
बता दें ये पूरा मामला क्लास एक्शन 2020 में शुरू हुआ, जिसमें उन लाखों Google यूजर्स को शामिल किया गया, जो 1 जून 2016 से निजी ब्राउजिंग (Private Browsing) करते थे। इस मामले के समझौते के रूप में गूगल को निजी ब्राउजिंग के दौरान सेव किए गए यूजर्स के डेटा को रिमूव करना होगा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गूगल को यह स्पष्टीकरण देना होगा कि उसने ब्राउजिंग में कौन सा डेटा इकट्ठा किया।