यूरोपियन यूनियन एंट्रीट्र्स्ट रेगुलेटर (EU antitrust regulators) ने सोमवार को ईयू टेक नियमों के संभावित उल्लंघनों के लिए एपल अल्फाबेट के गूगल और मेटा प्लेटफॉर्म में डिजिटल मार्केट एक्ट के तहत अपनी पहली जांच शुरू कर दी है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले को लेकर यूरोपीय संघ के कार्यकारी का बयान सामने आया है।
यूरोपियन यूनियन एंट्रीट्र्स्ट रेगुलेटर ने सोमवार को ईयू टेक नियमों के संभावित उल्लंघनों के लिए एपल, अल्फाबेट के Google और मेटा प्लेटफॉर्म में डिजिटल मार्केट एक्ट के तहत अपनी पहली जांच शुरू कर दी है।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले को लेकर यूरोपीय संघ के कार्यकारी का बयान सामने आया है।
कार्यकारी ने बयान में कहा, “(यूरोपीय) आयोग को संदेह है कि इन कंपनियों द्वारा उठाए गए कदम डिजिटल मार्केट एक्ट के तहत उनके दायित्वों का पालन नहीं करते हैं।
अल्फाबेट, एपल और मेटा के नियमों की हो रही जांच
ईयू प्रतियोगिता प्रवर्तक गूगल प्ले में स्टीयरिंग पर अल्फाबेट के नियमों की जांच करेगा। इसके साथ ही गूगल सर्च पर खुद को प्राथमिकता देने को लेकर भी जांच होगी।
इसके अलावा, ऐप स्टोर में स्टीयरिंग पर एपल के नियमों और चयन स्क्रीन के लिए सफार की जांच भी की जाएगी। मेटा के ‘भुगतान या सहमति मॉडल’ को लेकर भी ईयू अपनी जांच करेगा।
कमिशन ने वैकल्पिक ऐप स्टोर के लिए एपल के नए फी स्ट्रक्चर और अमेजन की इसके मार्केट प्लेस में रैंकिंग प्रैक्टिस को लेकर जांच शुरू कर दी है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, यूरोपीय यूनियन का बड़ी टेक कंपनियों (एपल, गूगल और मेटा) पर आरोप है कि कंपनियों ने अपने दबदबे का गलत फायदा उठाया है।
अमेरिकी और यूरोपीय रेगुलेटरों का दावा है कि ये कंपनियां अपने आसपास ऐसा माहौल तैयार करती हैं जिसमें ग्राहकों के लिए किसी दूसरी प्रतिद्वंद्वी सेवाएं देने वाली कंपनियों पर स्विच करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाता है।
इन कंपनियों की वजह से छोटी कंपनियों को आगे बढ़ने का अवसर नहीं मिल पा रहा है। इसी कड़ी में अमेरिका का फेडरल ट्रेड कमीशन (FTC) अमेरिका की चार बड़ी टेक कंपनियों- अमेजन, एपल, गूगल और मेटा के खिलाफ जांच कर रहा है।