पंजाब के जहरीली शराब मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। एसआईटी प्रमुख एडीजीपी ने बताया कि इस मामले को देने वाले दोनों मास्टरमाइंड की मुलाकात संगरूर जेल में हुई थी। इसके लिए नोएडा की एक फैक्टरी से 300 लीटर मेथनॉल मंगवाया था।
पंजाब में जहरीली शराब कांड की प्लानिंग संगरूर जेल में हुई थी। संगरूर जेल में हुई ये प्लानिंग कोई षड्यंत्र तो नहीं, अब स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) इसकी जांच कर रही है। जहरीली शराब का यह कांड एक षड्यंत्र भी हो सकता है कि पूरे पंजाब में 4 हजार जहरीली शराब की बोतलों की सप्लाई की जानी थी। एसआईटी प्रमुख एडीजीपी लॉ एंड ऑर्डर गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने बताया जहरीली शराब का कांड करने वाले दोनों मास्टरमाइंड की मुलाकात संगरूर जेल में हुई थी।
इस पूरे मामले में पुलिस ने तीन जगहों पर सुनाम, चीमा और गिद्दड़बाहा में एफआईआर दर्ज की गई है। एडीजीपी ने बताया जहरीली शराब कांड के मास्टरमाइंड हरमनप्रीत सिंह और गुरलाल सिंह डिप्टी की मुलाकात संगरूर जेल में हुई थी। मास्टरमाइंड हरमनप्रीत सिंह एक्साइज एक्ट के तहत और गुरलाल सिंह चोरी के केस में संगरूर जेल में बंद किए गए थे, जब इनकी मुलाकात हुई।
मामले में पुलिस ने अब तक 8 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है, एडीजीपी ने कहा उन्हें दो अन्य आरोपियों की तलाश है, जोकि एसआईटी की गिरफ्त से बाहर हैं, जल्द ही पुलिस इन दोनों आरोपियों को भी दबोच लेगी। एडीजीपी ने बताया इस मामलें में पुलिस ने 61-ए, 302 के अलावा अब 120-बी की धारा जोड़ी है, ताकि आरोपियों को सख्त से सख्त सजा दिलाई जा सके।
नोएडा की फैक्टरी से मंगवाया 300 लीटर मेथनॉल
जांच में सामने आया है कि मास्टरमाइंड हरमनप्रीत सिंह ने नोएडा की एक फैक्टरी से 300 लीटर मेथनॉल मंगवाया था। इसमें से पुलिस 200 लीटर मेथनॉल बरामद कर चुका है। इसके अलावा पुलिस ने जब नकली शराब बनाने वाली जगह पर छापामारी की, वहां से पुलिस ने 4 हजार खाली बोतलें, लेबल, मार्का और ढक्कन बरामद किए। पुलिस ने 80 जहरीली शराब की बोतलें रिकवर कर ली हैं, जबकि 47 जहरीली शराब की बोतलें अब भी लापता हैं।
एडीजीपी ने कहा अगले दो से तीन के दिन के अंदर नोएडा की जिस फैक्टरी से यह मेथनॉल लाया गया था, उसके लाइसेंस की जांच कर और उसने यह मेथनॉल किस इस्तेमाल के लिए बेचा था, उन सभी तथ्यों की जांच कर इस गिरोह के अन्य दो आरोपियों को दबोचा जाएगा। पुलिस की जांच में सामने आया है कि मास्टरमाइंड हरमनप्रीत सिंह ने लुधियाना से एक मशीन खरीदी थी, इस मशीन के जरिए नकली शराब तैयार कर उसके ढक्कन लगाए जाते थे। इसके अलावा लैपटॉप और प्रिंटर बरामद किया गया, जहां खुद ही देसी शराब के लेबल और मार्का तैयार किया जाते थे।
खरड़ भेजा गया सैंपल
एडीजीपी ने बताया जो 200 लीटर मेथनॉल पुलिस ने जब्त की है, उसका सैंपल जांच के लिए खरड़ की लैब में भेजा गया है। मेथनॉल में किस प्रकार के केमिकल शामिल किए गए थे, जिसकी वजह से इस जहरीली शराब के सेवन से लोगाें की मौत हुई। मेथनॉल में शामिल कैमिकल का पता लगाकर आगे की कार्रवाई की जाएगी। यह रिपोर्ट दो से तीन दिन के अंदर आ जाएगी। पुलिस ने बताया नोएडा की फैक्टरी से मंगवाए गए मेथनॉल का पता ऑनलाइन पेमेंट के जरिए पता चला। आरोपी हरमनप्रीत सिंह ने मेथनॉल मंगवाने के लिए ऑनलाइन पेमेंट की थी।
हरियाणा का ”शाही” ब्रांड तैयार कर रहे थे आरोपी
एसआईटी की जांच में सामने आया है कि इस जहरीली शराब कांड के पीछे पंजाब के ही अपराधी शामिल हैं और यह आरोपी पहले भी कई वारदातों में शामिल रहे हैं। इसमें हरियाणा, चंडीगढ़ या अन्य किसी प्रदेश के नकली शराब बनाने वाले गिरोह का नाम सामने नहीं आया है। एडीजीपी ने बताया यह आरोपी इतने चालाक थे कि खुद को बचाने के लिए इन्होंने पंजाब के देसी शराब का ब्रांड न बनाकर हरियाणा के शाही नाम के ब्रांड बनाने की प्लानिंग की।
ताकि अगर कोई शराब पकड़ी जाती है, तो पुलिस हरियाणा के नकली शराब बनाने वाले गिरोह की छानबीन करे। इस गिरोह की प्लानिंग मुख्य रूप से यह जहरीली शराब श्रमिकों और जहां फैक्टरी व उद्योग ज्यादा है, वहां इन शराब की चार हजार बोतलें पहुंचाने का टारगेट था। क्योंकि यह शराब 280 से 285 रुपये प्रति बोतल के हिसाब से बाजार में उपलब्ध है, लेकिन आरोपी खुद यह शराब बनाकर 140 रुपये में बेच रहे थे।