चार में से तीन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की जीत के बाद अब इंडी गठबंधन (I.N.D.I.A.) के नेताओं का बयान सामने आने लगा है। सभी विपक्षी दलों को एकजुट करने में अगुवा की भूमिका निभाने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड ने कांग्रेस की हार को इंडी गठबंधन की हार मानने से इनकार कर दिया है। जदयू का कहना है कि कांग्रेस ने राज्य चुनावों में इंडी गठबंधन के सभी घटकों को साथ नहीं लेकर गलती की है।
कांग्रेस पार्टी अपने बलबूते पर भाजपा को पराजित नहीं कर सकती
जेडीयू के वरीय नेता और मुख्य प्रवक्ता केसी त्यागी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि कहा कि यह नतीजे बेहतर भी हो सकते थे। इसको इंडी गठबंधन (INDIA) से मत जोड़िये। इंडी गठबंधन चुनाव में कहीं नहीं था। सिर्फ कांग्रेस पार्टी चुनाव लड़ रही थी। यह इलाके कांग्रेस पार्टी के गढ़ माने जाते है। पिछले चुनाव में भी इन तीनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी थी। लिहाजा यह भाजपा की जीत और कांग्रेस की हार है। इसका इंडी गठबंधन से कोई रिश्ता नहीं है। कांग्रेस ने चुनाव से पहले अपने घटक दलों से दूरी बना ली थी। वह इन राज्यों में किसी और दल के उपस्थिति के पक्ष में नहीं थी। जदयू, राजद और सपा ने भी प्रयास किया कि नॉमिनल नॉमिनेशन इन दलों को मिलना चाहिए। समाजवादी आंदोलन का इन इलाकों में काफी असर रहा है। अखिलेश यादव और ललन सिंह प्रयासरत थे। अब यह तय हो गया है कि कांग्रेस पार्टी अपने बलबूते पर भाजपा को पराजित नहीं कर सकती है। क्षेत्रीय दल जो बेहतर स्थिति में हैं, उन्हें कांग्रेस को साथ देना चाहिए। क्षेत्रिय अस्मिता की दल अपने-अपने राज्य में बेहतर करेंगे और भाजपा को चुनौती देंगे। मल्लिकार्जुन खरगे ने 6 दिसंबर को इंडी गठबंधन की बैठक बुलाई है।
राष्ट्रीय राजनीति के लिए सकारात्मक संकेत की ओर इशारा
बिहार सरकार के मंत्री और सीएम नीतीश कुमार के करीबी विजय चौधरी ने कहा कि उन्होंने कहा कि आम तौर पर सवाल नतीजे आने के बाद ही पूछे जाने चाहिए, न कि तब जब हमारे पास केवल रुझान हों। फिर भी, यह कहा जा सकता है कि रुझान राष्ट्रीय राजनीति के लिए सकारात्मक संकेत की ओर इशारा करते हैं।
एमपी में चार सीट पर तो सौ वोट भी नहीं ला पाए जदयू प्रत्याशी
दरअसल, सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने दस सीट पर अपने उम्मीदवार घोषित किए थे। इनमें से नौ सीटों पर जदयू के प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई। नरयोली सीट पर उम्मीदवार की घोषणा के बाद भी जदयू चुनाव नहीं लड़ सकी। लेकिन, अब तक आए चुनाव रुझान के अनुसार, सभी सीटों पर निराशा ही हाथ लगी। एक सीट (थंडला विधानसभा) पर आए नतीजे पर वोट की संख्या हजार पार कर पाई। बाकी चार सीटों पर तो सौ वोट भी जदयू प्रत्याशी नहीं ला पाए।