मध्य प्रदेश के गुना में कागज पर एक छह लाख का बांध बनाया गया है लेकिन जब कलेक्टर ने मौके पर जाकर मुआयना किया तो उन्हें वो बांध कही भी नजर नहीं आया। इसको लेकर कलेक्टर ने जांच-पड़ताल शुरू कर दी है।
फिल्म ‘वेलडन अब्बा’ बॉलीवुड की शानदार फिल्मों में से एक है। इसमें साफ तौर पर भ्रष्टाचार दिखाया गया है। इस फिल्म की कहानी है कि एक गांव में व्यक्ति कुंआ खुदवाने के लिए सरकार की मदद मांगता है। तब उसे पता लगता है कि गांव में तो पहले से ही कुंआ खुदा हुआ है। लेकिन जब को व्यक्ति गांव के उस हिस्से में कुंआ देखने जाता है तो उसे दूर-दूर तक कुछ नजर नहीं आता है। दरअसल, यह कोई जादुई कुंआ नहीं था बल्कि भ्रष्टाचार का कुंआ था।
आम शब्दों में कहे तो कागजी तौर पर गांव में कुंआ बनाया जा चुका है जिसके लिए राशि भी ले ली गई है और सभी सरकारी शुल्क भी वसूल किए गए हैं, लेकिन ये सब पैसे सिर्फ सरकारी अफसरों की जेब तक सीमित रह गए। ये तो सिर्फ एक फिल्म थी तो लोगों ने इसको काफी पसंद किया पर हैरान करने वाली बात ये है कि ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के गुना से सामने आ रहा है।
अधिकारियों के खिलाफ दर्ज किया जाएगा केस
गुना जिले की चांचौड़ा तहसील के ग्राम कुसुमपुरा में कागजों में बना बांध (एनीकट) पोर्टल पर तो नजर आ रहा है लेकिन जब उसे मौके पर पहुंचकर देखा गया तो छह लाख का यह बांध वहां कही नहीं दिखा। बताया जा रहा है जिला पंचायत सीईओ के साथ कलेक्टर इस बांध को दो घंटे तक गांव की हर लोकेशन पर खोजते रहे लेकिन उन्हें यह कही भी नजर नहीं आया। इंजीनियर से लेकर सचिव सभी बार-बार कलेक्टर को अलग-अलग जगह की जानकारी देते रहे जिसके बाद कलेक्टर गुना वापस लौट गए। कलेक्टर ने परेशान होकर मनरेगा की टीम को दोबारा मौके पर भेजा और साथ ही कहा कि अगर किसी को वो बांध नजर नहीं आया तो सीसी स्वीकृत करने वाले एई और उपयंत्री के खिलाफ एफआइआर दर्ज की जाएगी।
13 लाख रुपये में तालाब की जगह दिखा गड्ढा
कलेक्टर फ्रेंक नोबल ए. ने कुसुमपुरा गांव में प्रभुलाल कोरी के खेत के पास बने तालाब को देखने पहुंचे। यहां पर 13 लाख के तालाब की जगह 2.5 लाख रुपये खर्च करके बनाया गया एक मिट्टी का गड्ढा मिला। कलेक्टर ने मूल्यांकन करने वाले उपयंत्री राजीव सारस्वत के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए है। कलेक्टर ने अफसरों से पूछा कि इस पंचायत में कितने तालाब बने हैं। जिसके जवाब में उन्हें बताया गया कि गांव में 30 तालब बने हुए हैं। इस बात पर कलेक्टर ने कहा कि 30 तालाब होने पर तो गांव के लोगों को पेयजल की बिल्कुल चिंता नहीं होती होगी, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें पेयजल की समस्या है। कलेक्टर ने उन 30 कुओं की पूरी जानकारी मांगी है।
सीसी करने के बाद भी अधूरे निर्माण कार्य
कलेक्टर बुधवार को दो घंटे तक बांध खोजते रहे। उन्होंने कहा कि मनरेगा के दस्तावेजों के मुताबिक कुसुमपुरा में बांध बन चुका है तो मौके पर क्यों नहीं है। जांच के दौरान पता लगा है कि सीसी जारी करने के बाद भी छह निर्माण कार्य भी मौके पर अधूरे मिले है। वहीं दूसरी ओर तालाब में दो लाख रुपये का काम दिखाकर 13 लाख रुपये भी निकाल लिए, जिसकी जांच भी की जाएगी।