आयुष दाखिले में फर्जीवाड़ा करने के लिए निदेशालय के अफसर नहीं बल्कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी शामिल थे। इस मामले में तीन दिन पहले गिरफ्तार लोगों से पूछताछ में इसका खुलासा हुआ है। इसमें दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के नाम भी एसटीएफ को पता चले हैं। इनके बारे में कुछ और तथ्य मिलते ही गिरफ्तारी की जायेगी। इन दोनों के शामिल होने की पुष्टि गिरफ्तार कुलदीप के बयान से भी होने का दावा किया जा रहा है।

आयुष दाखिले के फर्जीवाड़े को लेकर चार नवंबर को हजरतगंज कोतवाली में तत्कालीन निदेशक एसएन सिंह ने मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें अपट्रॉन और वी-थ्री एजेंसी के संचालक, कर्मचारी और कुलदीप सिंह को नामजद किया गया था। कुलदीप वी-थ्री कंपनी से जुड़ा है। इसके बाद एसटीएफ ने जांच आगे बढ़ायी। 10 दिन की पड़ताल में ही आयुष निदेशालय के निलंबित निदेशक प्रो. एसएन सिंह, नोडल अधिकारी डॉ. उमाकांत यादव, वित्त लिपिक राजेश सिंह व निजी एजेंसियों के कर्मचारियों के खिलाफ सुबूत मिल गए थे। 22 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की कवायद शुरू कर दी गई थी। हालांकि चार दिन पहले इस मामले में प्रो. एसएन सिंह, डॉ. उमाकांत यादव, कुलदीप समेत 12 लोग गिरफ्तार कर जेल भेज दिये गए थे। इनसे कई घंटे तक पूछताछ में एसटीएफ को कई और सुबूत मिले।
दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों भी फर्जीवाडे़ में शामिल
कुलदीप ने एसटीएफ को बताया कि किसी को फर्जीवाड़े के बारे में पता न चले, इसके लिये काउंलिंग से पहले ही सारा खाका तैयार कर लिया गया था। कुछ दस्तावेजों और काउंसलिंग में आने वाले छात्रों के फॉर्म की फोटो कापी और अन्य चीजें अलग से भी रखनी थी। इसके लिए ही कुछ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को भी इसमें लगा दिया गया था। ये लोग जरूरत के मुताबिक दस्तावेजों को गुपचुप तरीके से निजी एजेंसियों के कर्मचारियों तक पहुंचा देते थे। इसकी भनक भी किसी अन्य को नहीं लगी थी।
निजी प्रबंधक से हो रही है पूछताछ
एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक फर्जी दाखिला लेने वाले निजी कालेजों में तीन के प्रबंधकों से एसटीएफ की पूछताछ चल रही है। ये लोग कई सवाल में फंसे। कुछ सवालों के जवाब प
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