मल्टीनेशनल माइनिंग कंपनी वेदांता के शेयरों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली। कंपनी के शेयर आज बुधवार को इंट्रा डे में 13% तक चढ़ गए थे। वेदांता के शेयर आज कारोबार के अंत में लगभग 10% की तेजी के साथ 303.50 रुपये पर बंद हुए। वेदांता के शेयरों में तेजी के पीछे दो खास वजह हैं। पहली यह कि कंपनी महाराष्ट्र में आईफोन बनाने की तैयारी में है। साथ ही महाराष्ट्र में टेलीविजन इक्विपमेंट तैयार करने के लिए सेंटर बनाने की प्लानिंग में है। कुल मिलाकर कंपनी महाराष्ट्र में आईफोन और टेलीविजन इक्विपमेंट तैयार करने का हब बनाना चाह रही है। इसकी जानकारी रॉयटर्स ने सीएनबीसी टीवी18 के हवाले से दी है। जहां वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने इंटरव्यू में ये बातें बताई हैं। दूसरी वजह यह है कि कंपनी गुजरात में सेमीकंडक्टर और ग्लास डिस्प्ले प्लांट स्थापित करने जा रही है। इतना ही नहीं अनिल अग्रवाल ने cnbc-18 को दिए इंटरव्यू में यह भी कहा कि वह इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर में भी प्रवेश करने की सोच रही है।
गुजरात में सेमीकंडक्टर प्लांट बनाएगी कंपनी
मंगलवार को वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल और गुजरात सरकार के बीच एक MoU साइन हुआ है। इसके मुताबिक, कंपनी Foxconn के साथ मिलकर गुजरात में भारत की पहली सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाएगी। इस परियोजना में वेदांता और ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लगभग 1.54 लाख करोड़ रुपए का निवेश करेंगी। वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल के मुताबिक, अगले 2 साल में प्लांट में प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा। गुजरात सरकार के मुताबिक, इस परियोजना में एक लाख लोगों को रोजगार मिलेगा।
टाटा भी भारत में बनाएगी आईफोन!
आपको बता दें कि भारत में आईफोन बनाने की तैयारी में टाटा ग्रुप भी है। दरअसल, रिपोर्ट्स के मुताबिक, टाटा आईफोन का निर्माण भी शुरू करने की तैयारी कर रही है। भारत में आईफोन की मैन्युफैक्चरिंग को लेकर टाटा ग्रुप ताइवान की कंपनी के साथ मिलकर मिलकर विस्ट्रॉन कॉर्प से बातचीत कर रही है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, टाटा ग्रुप और ताइवान की कंपनी विस्ट्रॉन कॉर्प के बीच में डील फाइनल स्टेज में है। बता दें कि टाटा और वेदांता के इस कदम से चीन के प्रभुत्व को सीधी टक्कर मिलेगी। बता दें कि अब तक इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में चीन का दबदबा रहा है। हालांकि, कोविड लॉकडाउन और अमेरिका के साथ राजनीतिक तनाव साथ ही बढ़ते भू-राजनीतिक जोखिमों के बीच दुनिया के कई बड़े इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांड इस समय चीन पर अपनी निर्भरता को कम करने का प्रयास कर रही है और वे भारत की ओर फोकस कर रहे हैं।