नई दिल्ली, रोजमर्रा के इस्तेमाल वाले उत्पाद बनाने वाली भारतीय कंपनियों (FMCG) को वर्ष 2021 में महंगाई की वजह से शहरी बाजारों में खपत में सुस्ती और ग्रामीण क्षेत्रों में गिरावट की स्थिति का सामना करना पड़ा। आंकड़ों का विश्लेषण करने वाली फर्म नीलसन ने एक रिपोर्ट में कहा है कि महंगाई से परेशान इन कंपनियों को बार-बार कीमतों में वृद्धि करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

वर्ष 2021 में एफएमसीजी उद्योग को लगातार तीन तिमाही में अपने मार्जिन को बचाने के लिए दहाई अंक में दाम बढ़ाने पड़े। एफएमसीजी कंपनियों की कुल बिक्री में करीब 35 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण बाजारों का है। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बाद इस पर तगड़ी मार पड़ी और हिंदुस्तान यूनीलीवर समेत कई एफएमसीजी कंपनियों के तिमाही नतीजों में ग्रामीण बिक्री में नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई।
नीलसन की रिपोर्ट कहती है कि कीमतें बढ़ने से छोटे उत्पादकों पर असर पड़ रहा है। इस वजह से 100 करोड़ रुपये से कम कारोबार वाले छोटे विनिर्माताओं की संख्या में 13 प्रतिशत की कमी हो चुकी है। बीते दो साल में 8 लाख नए FMCG स्टोर जोड़े गए और इनमें से आधे से अधिक ग्रामीण क्षेत्र में आए हैं। नए स्टोर खोलने की यह स्पीड पूर्व-कोविड वर्षों की तुलना में दोगुने से भी अधिक है। आवासीय क्षेत्रों में नए स्टोर खुलने के साथ मेट्रो-इंडिया रिटेल स्टोर का दायरा भी बढ़ गया है, ताकि उन उपभोक्ताओं की डिमांड को पूरा किया जा सके जो लगभग दो साल से घर से ही काम कर रहे हैं। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के दौरान ग्रामीण बाजारों ने कीमतों में बढ़ोतरी का खामियाजा भुगता।
रिपोर्ट के मुताबिक शहरी और ग्रामीण दोनों बाजारों में पारंपरिक व्यापार में (-) 4.8 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है जो मंदी को दर्शाती है। कैलेंडर वर्ष में दहाई अंक की वृद्धि देखी गई है, हालांकि कीमतों में वृद्धि से प्रभावित खपत में गिरावट पर नजर रखनी होगी।
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