पंजाब में सियासत 2022 की चुनावी जंग के मद्देनजर परवान चढ़ रही है. सूबे की सियासत में धमाल मचना शुरु हो और सिद्धू अपना कमाल न दिखाएं ये भला कैसे मुमकिन है. सो सिद्धू सियासत की पिच पर फॉर्म में हैं और फ्रंटफुट पर बैटिंग शुरु हो गई है. पर सवाल सभी के मन में है कि जो सिद्धू अब तक अलग-थलग नजर आ रहे थे, नेपथ्य में थे वो अचानक सियासी मंच पर मुख्य और मुखर कैसे हो गए.
इन सवालों के जवाब में ही छिपी है आज के राज की बात. राज की बात ये है कि पंजाब में बदलती पॉलिटिकल परिस्थितियों ने सिद्धू को सिर उठाने का मौका दे दिया.
सियासी पिच पर नवजोत सिंह सिद्धू कैसे मौका देखकर पैंतरा बदलते हैं ये किसी से छिपा नहीं है. जब बीजेपी में थे तब कांग्रेस को कोसते रहे, लेकिन टिकट कटने पर अपने राजनैतिक गुरु और ‘भगवान’ अरुण जेटली को चुनाव हरवाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और कांग्रेस में रहते हुए भी कलह के कौन-कौन से कलर उन्होंने छेड़े ये किसी से छिपा नहीं है. राज की बात ये है कि अपनी सियासत में नई संभावनाओं को देखते हुए सिद्धू एक बार फिर से अपने चिर परिचित अंदाज में आ गए हैं.
दरअसल, पंजाब में मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में आ चुकी आम आदमी पार्टी भी सूबे में नई रणनीतियों के साथ मैदान में उतर रही है. आम आदमी पार्टी ने ऐलान किया है कि उनकी सरकार बनी तो मुख्यमंत्री कोई सिख ही होगा. बस फिर क्या था पंजाब का सरकार बनने की ललक सिद्धू के मन में फिर से उठी और शुरु हो गए उनके सियासी दांवपेंच.
हालांकि, सिद्धू कोई अपने मन से सरकार बनने का ख्वाब देख बैठे ऐसा नहीं है. इसकी भूख तो उनके मन में आम आदमी पार्टी ने पैदा की जो लगातार उन पर डोरे डालने की कोशिश कर रही है.
इस मौके के देखते हुए सिद्धू मुखर हुए तो कांग्रेस आलाकमान अलर्ट हो गया. क्योंकि सिद्धू जिस में रहे उसके गले की फांस तो बनते ही बनते हैं लेकिन चुनावी मुहाने पर अगर उन्होंने कांग्रेस को छोड़कर पाला बदल दिया तो तो पंजा पंजाब में कमजोर पड़ सकता है लिहाजा दिल्ली में सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी वाड्रा ने दिल खोलकर उनका स्वगात किया. सिद्धू ने भी बयान जारी कि कि आलानेताओं से अच्छी बात उनकी हुई है.
वैसे अगर आम आदमी पार्टी की बात करें तो सिद्धू पर वे पिछली बार से ही डोरे डाल रही. आप पंजाब में मुख्य विपक्षी दल बन चुकी है. उसका जनाधार भी कम नहीं. ज़रूरत एक सिख चेहरे की थी, जो सिद्धू के रूप में उसे दिख रहा है. मगर सिद्धू बाल देखकर ही सिक्योर ऊपर से छक्का मारने में माहिर हैं. केजरीवाल की पार्टी का विकल्प सिद्धू ने बंद नहीं किया, लेकिन कांग्रेस में अभी वो अपनी पूरी जोर-आजमाइश कर रहे हैं.
चूँकि उन्हें झाड़ू का सहारा है लिहाज़ा कांग्रेस भी वक्त का तक़ाज़ा समझते हुए किसी भी क़ीमत में पूर्व क्रिकेटर की फ़ील्डिंग बिछाये है कि वह पंजे में ही रहें. अब ये वक्त पर है कि नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस के साथ रहेंगे ये नए ठिकाने पर उनका ठौर होगा लेकिन राज की बात यही है कि उनका अचानक से मुखर हो जाना पंजाब में बदल रहे सियासी समीकरणों की वजह से है.
अब तवज्जों कांग्रेस से भी मिल रही है और लॉलीपॉप आम आदमी पार्टी से भी. ऐसे में सिद्धू जैसे राजनेता का मुखर हो जाना और अपनी शर्तों की फेहरिस्त फेंक देना कोई आश्चर्य पैदा नहीं करता.