मथुरा: उत्तर प्रदेश में मथुरा की एक अदालत ने केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन और तीन अन्य के खिलाफ शांति भंग की आशंका से संबंधित आरोपों पर कार्यवाही रद्द कर दी, बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि पुलिस छह महीने की निर्धारित अवधि के भीतर उनके खिलाफ जांच पूरी करने में विफल रही।

सिद्दीकी कप्पन और उनके कथित सहयोगियों, जिन पर कट्टरपंथी समूह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जुड़े होने का संदेह था, उनको 5 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था, जब वे एक लड़की के कथित सामूहिक बलात्कार और हत्या के बाद यूपी के हाथरस गांव जा रहे थे।
उन्हें शांति भंग करने की आशंका पर गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में उन पर देशद्रोह और आतंकवाद विरोधी कानून और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के उल्लंघन के कड़े आरोप लगाए गए।
बचाव पक्ष के वकील मधुबन दत्त चतुर्वेदी ने कहा कि सब डिविजनल मजिस्ट्रेट, ने मंगलवार को पुलिस द्वारा 5 अक्टूबर, 2020 को आपराधिक कानून की विभिन्न धाराओं के तहत गिरफ्तार आरोपी अतिकुर्रहमान, आलम, पत्रकार सिद्दीकी कप्पन और मसूद को आरोपमुक्त कर दिया।
मजिस्ट्रेट के आदेश में कहा गया कि कानून के तहत कार्यवाही पूरी करने की सीमा समाप्त हो गई है, चार आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही समाप्त कर दी जाती है।
आरोपी पिछले साल 7 अक्टूबर से जेल में हैं और उनपर 153 ए (समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295 ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 124 ए (देशद्रोह), 120 बी (साजिश) आईपीसी, 17/18 यूएपीए (आतंकवादी अधिनियम के लिए धन जुटाना) और आईटी अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए गए हैं।
पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया और आरोप लगाया कि उनके पीएफआई के साथ संबंध थे और हाथरस में अशांति पैदा करना चाहते थे।
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