अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने नाटो को लेकर कहा है कि यह गठजोड़ पहले की तुलना में अब कहीं ज्यादा मजबूत है. बाइडन ने नाटो बैठक में चीन और रूस के खिलाफ सख्त कदम उठाने का भी संकेत दे दिया है. बाइडन ने नाटो बैठक से पहले एक ट्वीट में कहा, मैं आज अपने 29 सहयोगियों के साथ सामूहिक रूप से इस चर्चा करने आया हूं. चर्चा में रूस की आक्रामकता, चीन से मिल रही रणनीतिक चुनौती, साइबर हमला, आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे शामिल हैं.
नाटो नेताओं की तरफ से चीन के खिलाफ बयान जारी करना अमेरिका के लिए कूटनीतिक जीत बताई जा रही है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रयास के बाद ही नाटो नेताओं ने एक सुर में चीन की आलोचना की है.
नाटो के नेताओं ने घोषणा की है कि चीन लगातार सुरक्षा के लिए चुनौती बना हुआ है. इन नेताओं का कहना है कि चीन अंतरराष्ट्रीय नियमों पर आधारित व्यवस्था को कमतर करने के लिए काम कर रहा है. नाटो नेताओं ने चिंता जताई कि चीन कितनी तेजी से परमाणु मिसाइल विकसित कर रहा है. नाटो नेताओं ने सोमवार को बयान जारी कर कहा कि चीन के लक्ष्य और ‘दबाव बनाने वाले व्यवहार ने नियमों पर आधारित वैश्विक व्यवस्था के समक्ष चुनौती पेश कर दी है और गठबंधन की सुरक्षा वाले क्षेत्रों में भी यह चिंता का विषय है.’
बहरहाल, 30 देशों की सरकार और प्रमुख ने चीन को प्रतिद्वंद्वी नहीं कहा, लेकिन इसकी ‘दबाव वाली नीतियों’ पर उन्होंने चिंता जताई. उन्होंने उसकी सेना के आधुनिकीकरण के अपारदर्शी तरीकों और सूचना नहीं देने पर भी चिंता जताई.
नाटो नेताओं ने बीजिंग से अपील की, ‘वह अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को बरकरार रखे और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में जिम्मेदारी से काम करे जिसमें अंतरिक्ष, साइबर और समुद्री क्षेत्र शामिल हैं और बड़ी शक्ति के रूप में अपनी भूमिका निभाए.’
नाटो नेताओं ने यह भी कहा कि वे जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर ‘चीन के साथ मिलकर काम करने का स्वागत करते हैं.’ ब्रसेल्स में सोमवार को शिखर सम्मेलन के दौरान बयान जारी किया गया जो चीन पर सैन्य गठबंधन का पहला इस तरह का बयान है. राजनयिकों ने कहा कि ये बयान की सबसे सख्त टिप्पणी थी.
नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशऩ (नाटो) यूरोपीय और उत्तरी अमेरिकी देशों का एक गठबंधन है जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद रूसी आक्रमण के खिलाफ एक सुरक्षा कवच के रूप में बना है.
जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा कि चीन को खतरा बताने के नाटो के फैसले को बढ़ा चढ़ाकर नहीं बताया जाना चाहिए. क्योंकि रूस की तरह बीजिंग भी कुछ क्षेत्रों में भागीदार है. चीन जर्मनी का शीर्ष व्यापारिक साझेदार है और देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस पर बहुत अधिक निर्भर है. मर्केल ने कहा कि “जब आप साइबर सहित खतरों में आप रूस और चीन के बीच सहयोग को देखते हैं, तो आप चीन की उपेक्षा नहीं कर सकते.” उन्होंने कहा कि “सही संतुलन खोजना” महत्वपूर्ण था क्योंकि चीन भी कई मुद्दों पर भागीदार है.
वहीं चीन ने नाटो नेताओं के आरोपों को सिरे से खारिज किया है और तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. ब्रिटेन में चीन के दूतावास ने दुनिया के सबसे बड़े औद्योगिक देशों के बयान को विकृत बताया और चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बताया. चीनी दूतावास ने जारी बयान में कहा कि इस तरह का बयान देना अंतरराष्ट्रीय नियमों का गंभीर उल्लंघन है. इससे अमेरिका जैसे कुछ देशों की मंशा जाहिर होती है.