नई दिल्ली: नारद स्टिंग मामले में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेताओं की मांग को ठुकराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि सीबीआई जांच पर रोक नहीं लगाई जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का वक्त 72 घंटे से बढ़ाकर एक महीने कर दिया है. कलकत्ता हाईकोर्ट ने 72 घंटे के अंदर प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के निष्कर्ष और विपरीत टिप्पणी सीबीआई जांच को प्रभावित नहीं करेंगी. TMC नेताओं की दलील थी कि मामले की सीबीआई नहीं, बल्कि एसआईटी से जांच कराई जाए. उल्लेखनीय है कि इस स्टिंग में तृणमूल कांग्रेस के कई नेता कथित तौर पर घूस लेते नजर आए थे. कलकत्ता हाइकोर्ट ने इस मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे और सीबीआई को 24 घंटे के भीतर स्टिंग ऑपरेशन से संबंधित सभी सामग्री और उपकरण अपने कब्जे में लेने और 72 घंटे के भीतर प्रारंभिक जांच को निष्कर्ष पर पहुंचाने के निर्देश दिए थे. अदालत ने कहा था कि प्रारंभिक जांच पूरी होने के बाद जरूरत पड़ने पर सीबीआई प्राथमिकी दर्ज करे और उसके बाद औपचारिक जांच शुरू करे.
गौरतलब है कि कि पश्चिम बंगाल में वर्ष 2016 में विधानसभा चुनाव से पहले नारद स्टिंग के टेप विभिन्न समाचार संगठनों को जारी किए गए थे. इसमें कुछ नेता कथित तौर पर घूस लेते दिखाई दिए थे. खंडपीठ ने सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी, चंडीगढ़ की उस रिपोर्ट पर गौर किया जिसमें कहा गया था कि इन टेपों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है. नारद न्यूज के संपादक मैथ्यू सैम्यूल ने अदालत को बताया था कि रिकॉर्डिंग आईफोन की मदद से की गई और उसे लैपटॉप में डाला गया जहां से उसे एक पेन ड्राइव में लिया गया.
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इसके बाद हाईकोर्ट द्वारा गठित एक समिति ने इन सभी उपकरणों को कब्जे में ले लिया. अदालत ने कहा था कि जिन लोगों पर आरोप लगे हैं, वे मंत्री, सांसद और राज्य के अन्य वरिष्ठ नेता हैं, इसलिए यह उचित होगा कि प्रारंभिक जांच की जिम्मेदारी राज्य की किसी एजेंसी की बजाय सीबीआई को सौंपी जाए. कोर्ट ने कहा था कि मामले की स्वतंत्र जांच के लिए सीबीआई सबसे उपयुक्त एजेंसी है. स्टिंग टेपों की विश्वसनीयता के परीक्षण के बाद इनकी स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए हाईकोर्ट में तीन याचिकाएं दायर की गई थीं.