केंद्रीय जांच ब्यूरो ने कैडबरी इंडिया लिमिटेड के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है. भ्रष्टाचार एवं अनियमितता के द्वारा हिमाचल प्रदेश के बद्दी में एक फैक्ट्री का लाइसेंस लेने के आरोप में कंपनी पर यह मामला दर्ज किया गया है.
कंपनी ने यह लाइसेंस साल 2009-10 में हासिल किया था. सीबीआई अधिकारियों ने इस मामले में कई आरोपियों के हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के ठिकानों पर सर्वे भी किया है.
सूत्रों का कहना है कि कैडबरी इंडिया (जिसका अब नाम Mondelez फूड्स प्राइवेट लिमिटेड हो गया है) ने साल 2009-10 में केंद्रीय उत्पाद कर विभाग के कुछ अधिकारियों से मिलीभगत कर अपने नए कारखाने के लिए 241 करोड़ रुपये की उत्पाद शुल्क बचत हासिल की. बताया जाता है कि हिमाचल प्रदेश के बद्दी स्थित इस कारखाने में 5 स्टार औेर जेम चॉकलेट का निर्माण किया जाता है.
CBI ने सेंट्रल एक्साइज विभाग के सुपरिन्टेंडेंट निर्मल सिंह, इंस्पेक्टर जसप्रीत कौर और कैडबेरी इंडिया के जुड़े 10 लोगों को इस मामले में आरोपी बनाया है.
एफआईआर के मुताबिक, सीबीआई ने की एंटी करप्शन यूनिट की शिमला ब्रांच ने इन आरोपों की जांच की थी कि Mondelez फूड्स लाइसेंस हासिल करने के लिए घूस दिए हैं और तथ्यों को छिपाया है, ताकि बद्दी में कारखाना लगाने के लिए मिलने वाले एक्साइज ड्यूटी और इनकम टैक्स का फायदा उठाया जा सके.
सीबीआई के जांच और आरोपों पर Mondelez (Cadbury) की तरफ से लीगल फर्म पनाग ऐंड बाबू के पार्टनर शेरबीर पनाग ने कहा, ‘Mondelez का मामला काफी समय से चल रहा है. साल 2017 में एसईसी ने FCPA के तहत कार्रवाई की, साल 2011 में DGCE ने जांच की. सीबीआई का मामला भी शुरू हो जाएगा. लेकिन बेहतर यह होगा कि इस मामले की सही जांच की जाए. इस मामले में सख्त कार्रवाई से ऐसी नजीर साबित की जाए जिससे ऐसे दुराचरण करने वाले कर्मचारियों के लिए एक नजीर बन सके.’