बिल्व अथवा बेल (बिल्ला) विश्व के कई हिस्सों में पाया जाने वाला वृक्ष है। हिन्दू धर्म में बिल्व के वृक्ष को बहुत ही पवित्र माना जाता है। हिन्दू धर्म में बिल्व अथवा बेल (बिल्ला) पत्र भगवान शिव की आराधना का मुख्य अंग है। ‘शिवपुराण’ में इसकी महिमा का वर्णन मिलता है।

1. हिन्दू धर्म में बिल्व वृक्ष के पत्र (पत्ते) शिवलिंग पर चढ़ाए जाते हैं। भगवान शिव इसे चढ़ाने से प्रसन्न होते हैं।
2. जो व्यक्ति शिव-पार्वती की पूजा बेलपत्र अर्पित कर करते हैं, उन्हें महादेव और देवी पार्वती दोनों का आशीर्वाद मिलता है।
3. यह माना जाता है कि देवी महालक्ष्मी का भी बेल वृक्ष में वास है। जिस घर में एक बिल्व का वृक्ष लगा होता है उस घर में लक्ष्मी का वास बतलाया गया है।
4. कहते हैं शिव को बिल्वपत्र चढ़ाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
5. बिल्व पत्र को शिवजी के तीनों नेत्रों का प्रतीक भी माना जाता है। यह तीन नेत्र भूत, भविष्य और वर्तमान देखते हैं। उसी तरह महाशिवरात्रि के दिन शिवजी को बिल्व पत्र चढ़ाने से समृद्धि, शांति और शीतलता आती है।
6. बिल्वपत्र चढ़ाने का मंत्रः-
नमो बिल्ल्मिने च कवचिने च नमो वर्म्मिणे च वरूथिने च
नमः श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमो दुन्दुब्भ्याय चा हनन्न्याय च नमो घृश्णवे॥
दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनम् पापनाशनम्। अघोर पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्॥
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्। त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्॥
अखण्डै बिल्वपत्रैश्च पूजये शिव शंकरम्। कोटिकन्या महादानं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्॥
गृहाण बिल्व पत्राणि सपुश्पाणि महेश्वर। सुगन्धीनि भवानीश शिवत्वंकुसुम प्रिय।
उल्लेखनीय है कि चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या और किसी माह की संक्राति को बिल्वपत्र नहीं तोडऩा चाहिए।
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