खेती-किसानों को घाटे का सौदा बताकर इससे किनारा करने की बातों हो रही हैं और पढ़े-लिखे लोग इसे अपने लायक काम नहीं मानते। दूसरी ओर कुछ लोग इस धारणा को ताेड़ने में जुटे हैं। ऐसे ही लोगों में शामिल हैं पानीपत जिले के आसन खुर्द गांव के डा. जयपाल तंवर। 38 वर्षीय डा. तंवर ने सहायक प्रोफेसर की नौकरी छोड़कर सब्जी की खेती करनी शुरू कर दी। परिवार में काफी विरोध हुआ। पत्नी और ससुर ने भी समझाया। पिता ने भी नसीहत दी, लेकिन इरादे पर डटे रहे और नतीजा यह हुआ कि सभी अब सराहना कर रहे हैं। डा. तंवर प्रति एकड़ से छह से आठ लाख रुपये कमा लेते हैं।
डा. तंवर की पत्नी डा. अनीता दिल्ली के लाल बहादुर शास्त्री विश्व विद्यालय में हिंदी की प्रोफेसर है। तंवर ने नौकरी छोड़ किसानी करने की बात की जो पत्नी ने विरोध करते हुए कहा कि उनकी शादी किसान नहीं, प्रोफेसर के साथ हुई थी। किसान पिता प्रेम सिंह तंवर ने भी नसीहत दी कि खेती टोटे का व्यवसाय है। खेती ही करनी थी तो पढ़ाई क्यों की। 10वीं करते ही खेत में हाथ बंटा लेते।
डा. तंवर को 2019 में घरौंडा में सेंट्रल आफ एक्सीलेंस में शिमला मिर्च और गोभी की फसल के लिए राज्य स्तरीय बेस्ट सब्जी विक्रेता के पुरस्कार से कृषि मंत्री जेपी दलाल ने दिया सम्मानित किया। उनको हाल ही में 26 जनवरी को शिवाजी स्टेडियम में जिलास्तर पर बेस्ट फार्मर का अवार्ड मिला है। अब स्वजन डा. जयपाल की तारीफ करते हैं। ससुर ने भी उन्हें नौ एकड़ जमीन खेती करने के लिए दे दी है। अब उन्होंने 30 लोगों को रोजगार दे रखा है।
डा. जयपाल ने बताया कि वर्ष 2009 में ऊझा गांव स्थित नलवा कालेज आफ एजुकेशन में संस्कृत के सहायक प्रोफेसर रहे। कालेज के पास वह कृषि विज्ञान केंद्र में जाते रहे। कृषि विज्ञानियों ने बताया कि सब्जी की फसल से काफी लाभ कमा सकते हैं। इसके बाद 2014 में नौकरी छोड़ दी। उन्होंने 2015 में नोहरा, जोशी माजरा, करनाल के शेखपुरा, घरौंडा, नरूखेड़ी, सोनीपत के मुरथल और पट्टीकल्याणा में पालीहाउस और ओपन फील्ड में पीली व लाल गोभी, ब्रोकली, शिमला मिर्च, खीरा और पीले तरबूज का उत्पादन किया।
डा. जयपाल बताते हैं, दो साल तक पानीपत सब्जी मंडी में सब्जी बेची। उचित दाम नहीं मिला तो पट्टीकल्याणा के सामने जीटी रोड पर आउटलेट खोला। दिल्ली के व्यापारियों को सब्जी पसंद आई। अब वह पहले मैसेज कर देते हैं। वह सब्जी की पैकिंग कर तैयार रखते हैं। हर रोज सात क्विंटल सब्जी दिल्ली वाले ले जाकर होम डिलीवरी करते हैं। बाकी सब्जी को डिमांड के हिसाब से जयपाल माल में बेचते हैं। मंडी में सब्जी नहीं बेचते हैं।
डा. जयपाल बताते हैं कि उन्होंने ससुराल पट्टीकल्याणा में 10 एकड़ में ओपन और छह एकड़ में पालीहाउस में पीली और गुलाबी फूल गोभी, लाल-पीली शिमला मिर्च, गाजर, मूली, शलजम और पालक की सब्जी उगा रखी है। इसमें ताइवान के बीज का इस्तेमाल किया गया है। अब पीला तरबूज, खरबूजा व घीया की फसल उगाने की तैयारी कर रहे हैं।
वह सब्जी की फसल में वे रासायनिक कीटनाशक की बजाय नीमयुक्त कीटनाशक व बायो कंपोस्ट का इस्तेमाल करते हैं। एक एकड़ सब्जी उगाने में 10 लाख रुपये खर्च आता है। सरकार 2.70 लाख रुपये की सब्सिडी देती है। छह लाख तक की बचत हो जाती है। दिल्ली, सोनीपत व प्रदेश के अन्य जगह पर खेत में जाते हैं और सलाह भी देते हैं। इसके लिए भी वे कमाई करते हैं। आसपास के किसानों को वे मुफ्त में सलाह देते हैं।
डा. तंवर का दावा है कि उनके पालीहाउस में उगने वाली सब्जी में रासायनिक कीटनाशक नहीं है। सब्जी में न्युट्रिशियन व अन्य तत्व ज्यादा हैं। इसलिए उनकी सब्जी आम सब्जी से मंहगी बिकती है। एक किलो फूल गोभी 70 से 100, खीरा 34 रुपये, टमाटर 20 से 25 रुपये प्रति किलो बिकता है।