भगवान श्रीकृष्ण हम सबको प्रिय हैं,आइए जानते हैं उन पर किसने क्या रचा है।

– गोप्यो गाय ऋचस्तस्य।
ऋचाएं श्रीकृष्ण की गौएं व गोपियां हैं। (कृष्णोपनिषद्-8)
– कृष्णस्तु भगवान् स्वयम् ।
कृष्ण स्वयं भगवन हैं। (भगवत-1/3/28)
– तुलसी दास इहै अधिक कान्ह पहिं, निकेई लागत मन रहत समाने। (तुलसीदास- श्रीकृष्ण गीतावली, पद3)कृष्ण में यह विशिष्टता है कि वे सदा अच्छे ही लगते हैं। इसी से मन में समाये रहते हैं।
– संसार में एक कृष्ण ही हुए जिसने दर्शन को गीत बनाया।(राममनोहर लोहिया, कृष्ण पृ।14)
– लाम के मानिंद है जुल्फ़ें मेरे घनश्याम की, वे हैं काफ़िर जो नहीं बन्दे हुए इस-लाम के | (अज्ञात)
मेरे घनशयाम की जुल्फ़ें उर्दू के ‘लाम’ अक्षर के समान है। जो इस लाम के (इस्लाम के नहीं) भक्त नहीं बन पाए उन्हें ‘काफ़िर’ (नास्तिक) समझो।
– गोप्यो गाय ऋचस्तस्य।
ऋचाएं श्रीकृष्ण की गौएं व गोपियां हैं। (कृष्णोपनिषद्-8)
– कृष्णस्तु भगवान् स्वयम् ।
कृष्ण स्वयं भगवन हैं। (भगवत-1/3/28)
– तुलसी दास इहै अधिक कान्ह पहिं, निकेई लागत मन रहत समाने। (तुलसीदास- श्रीकृष्ण गीतावली, पद3)कृष्ण में यह विशिष्टता है कि वे सदा अच्छे ही लगते हैं। इसी से मन में समाये रहते हैं।
– संसार में एक कृष्ण ही हुए जिसने दर्शन को गीत बनाया।(राममनोहर लोहिया, कृष्ण पृ।14)
– लाम के मानिंद है जुल्फ़ें मेरे घनश्याम की, वे हैं काफ़िर जो नहीं बन्दे हुए इस-लाम के | (अज्ञात)
मेरे घनशयाम की जुल्फ़ें उर्दू के ‘लाम’ अक्षर के समान है। जो इस लाम के (इस्लाम के नहीं) भक्त नहीं बन पाए उन्हें ‘काफ़िर’ (नास्तिक) समझो।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal