देश को जल्द ही कोरोना वायरस वैक्सीन मिलने के संकेत मिलने लगे हैं. वैक्सीन कब मिलेगी फिलहाल यह सवाल ही है, लेकिन इसके अलावा कई और सवाल हैं, जो नागरिकों के जहन में हैं. जैसे- वैक्सीन के डोज, इसमे कितना खर्च आएगा, सरकार कैसे वैक्सीन अभियान की तैयारी कर रही है.
ऐसे में इन सवालों के जवाब देने के लिए ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट मेडिकल साइंसेज के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया सामने आए हैं. उन्होंने वैक्सीन प्रोग्राम से जुड़ी कई जरूरी जानकारियां दी हैं.
डॉक्टर गुलेरिया ने बताया कि सरकार वैक्सीन लॉन्च के बाद पहली प्राथमिकता डॉक्टर, नर्स और दूसरे फ्रंटलाइन वर्कर्स को देगी. ऐसे लोगों की संख्या करीब 30 करोड़ है. वैक्सीन अभियान के पहले चरण में इस वर्ग में शामिल लोगों को टीका लगाया जाएगा.
वहीं, इसके बाद डायबिटीज, सांस की परेशानियों से जूझ रहे लोगों को ध्यान में रखा जाएगा. इस दौरान डॉक्टर गुलेरिया ने साफ किया है कि वे भी वैक्सीन स्कीम पर काम कर रही कमेटी का हिस्सा हैं. उन्होंने बताया कि एक मानक तैयार किया गया है, जिसके तहत स्कोरिंग सिस्टम के जरिए व्यक्ति की बीमारी को मापा जाएगा. फिर बीमारी की गंभीरता को देखते हुए वैक्सीन लगाई जाएगी. इस सिस्टम के जरिए जो व्यक्ति ज्यादा बीमार होगा, उसे टीका लगाए जाने में प्राथमिकता दी जाएगी.
वैक्सीन अभियान के दौरान देशवासियों के बीच टीके की कीमत क्या होगी? यह सवाल भी बना हुआ है. इसपर एम्स निदेशक ने साफ किया है कि वैक्सीन प्रोग्राम को सरकार पूरा समर्थन दे रही है. ऐसे में वैक्सीन लगाए जाने में कोई खर्च नहीं आना चाहिए. उन्होंने बताया कि सरकार दूसरे वैक्सीन कार्यक्रमों की तरह ही इस अभियान को भी चलाएगी.
शुरुआत से ही एक्सपर्ट्स जानकारी दे रहे थे कि वैक्सीन उपलब्ध होने के बाद मरीज को दो डोज की जरूरत होगी. वैक्सीन डोज को लेकर जारी संदेहों को भी डॉक्टर गुलेरिया ने दूर किया है. उन्होंने बताया कि ऐसा जरूरी नहीं है कि दो डोज के बीच 28 दिन का अंतर हो. इसके लिए उन्होंने ब्रिटेन का उदाहरण दिया है. डॉक्टर गुलेरिया ने बताया कि ब्रिटेन में दोनों डोज के बीच 28 दिनों से लेकर 12 हफ्तों का गैप तय किया गया है. उन्होंने साफ किया कि दो डोज के बीच अंतराल से इम्युनिटी पर असर नहीं पड़ेगा.