जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से नीतीश कुमारा ने इस्तीफा देकर पार्टी की कमान अपने विश्वस्त आरसीपी सिंह को सौंप दी है. हालांकि पार्टी संगठन में पहले से ही आरसीपी का दबदबा रहा है.माना जा रहा है कि छोटे भाई की हैसियत में अब नीतीश को बीजेपी से डील करने में दिक्कत हो रही है लिहाजा पार्टी की कमान सौंपकर नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को अब आगे कर दिया है.
बिहार में जेडीयू की कमान संभालते ही नवनियुक्त अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने कड़े तेवर दिखाए. सिंह ने कहा कि धर्मांतरण के मुद्दे पर जेडीयू बीजेपी का विरोध करेगी. वहीं उन्होंने एक सवाल के जवाब में साफ किया कि बिहार में जेडीयू एनडीए के साथ बनी रहेगी.
जब भी किसी चुनाव में जदयू का प्रदर्शन खराब होता है,नीतीश कुमार इस्तीफा देते हैं.इस बार भी नीतीश कुमार ने कुछ ऐसा ही किया है.2014 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने मात्र दो सीटों पर जीत दर्ज की तो नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर जीतनराम मांझी को कुर्सी पर बिठा दिया.
इस बार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी 71 से 43 पर सिमट गई तो नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया और अपने करीबी आरसीपी सिंह को कुर्सी पर बिठा दिया है.
हालांकि माना ये जा रहा है कि बदली हुई परिस्थितियों में बिहार में NDA सरकार के अंदर नीतीश कुमार छोटे भाई और बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में है.बीजेपी अब नीतीश कुमार को पहले जैसा भाव नही दे रही है.नीतीश कुमार को बीजेपी नेताओं से डील करने में अहसासे कमतरी का फील आ रहा है.लिहाजा कहीं न कहीं बीजेपी से संवाद करने के लिये भी नीतीश को आरसीपी को आगे किया है और इसके लिये उन्हें आरसीपी को राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत में लाना पड़ा.
हालांकि सभी जानते हैं कि वैसे भी पार्टी आरसीपी के ही इशारे पर चल रही थी. कभी नीतीश कुमार के करीबी बनकर उनके साथ उनके घर मे रहकर PK ने पार्टी चलाने की कोशिश की थी लेकिन PK को आरसीपी सिंह ने ही सेट कर दिया. उन्हें ना सिर्फ नीतीश के बंगले बल्कि पार्टी से भी निकलवा दिया.
आरसीपी सिंह आईएएस अधिकारी रह चुके हैं. नीतीश कुमार के स्वजातीय हैं और उनके गृह जिले के ही निवासी हैं.आरसीपी उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी थे लेकिन नीतीश जब केंद्र में मंत्री बने तभी आरसीपी सिंह को उत्तर प्रदेश से लाकर अपना सचिव बनाया. उसके बाद जब नीतीश ने बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली तो फिर आरसीपी सिंह को उत्तर प्रदेश से बुला कर अपना प्रधान सचिव बनाया. 2010 में उन्होंने वीआरएस ले लिया.फिर नीतीश कुमार ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया. आज नीतीश कुमार ने जेडीयू का सुप्रीमो आरसीपी को बना दिया. अब जदयू कार्यकर्ता उनका 100 किलो के माला और 100 किलो लडडू से उनका स्वागत कर रहे हैं.
इधर बीजेपी आरसीपी को शुभकामनाएं दे कर कह रही है कि उनके नेतृत्व में जेडीयू नई ऊंचाइयों पर जाएगा तो आरजेडी कह रही है कि अब जेडीयू का रसातल में जाना तय है. अब देखना ये है कि नीतीश कुमार पार्टी की जिम्मेदारी से मुक्त होकर राज काज पर कितना ध्यान देते हैं.सुशासन,विकास कुमार और कानून का राज फिर से बहाल करने में कितना वक्त लगाते हैं.क्योंकि हाल के दिनों में बिहार में कानून व्यवस्था की हालत तेजी से खराब हो रही है.