हिन्दू धर्म में शंख को बहुत ही शुभ माना गया है, माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों ही अपने हाथों में शंख धारण करते हैं

शंख का नाम लेते ही मन में पूजा और भक्ति की भावना आ जाती है। हिन्दू धर्म में शंख को बहुत ही शुभ माना गया है, इसका कारण यह है कि माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों ही अपने हाथों में शंख धारण करते हैं। महाभारत युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने पांचजन्य शंख, अर्जुन ने देवदत्त और भीम ने पौंड्रक नामक बड़े शंख बजाए।

युधिष्ठिर ने अनंतविजय, नकुल ने सुघोष और सहदेव ने मणिपुष्पक शंख को बजाकर युद्ध का उदघोष किया। विष्णु पुराण के अनुसार माता लक्ष्मी समुद्रराज की पुत्री हैं तथा शंख उनका सहोदर भाई है। इसलिए यह भी मान्यता है कि जहां शंख है, वहीं लक्ष्मी का वास होता है।

घर में शंख रखने से वास्तु दोषों से छुटकारा मिलता है, साथ ही धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है। अगर आपके घर के किसी हिस्से में वास्तु दोष है, तो उस कोने में शंख रखने से वहां का वास्तु दोष समाप्त हो जाता है। घर में खुशहाली आती है। इसी प्रकार शंखनाद करने से इसकी ध्वनि जहां तक पहुंचती हैं वहां तक की वायु शुद्ध और ऊर्जावान हो जाती है और अनिष्ट दूर होता है।

वास्तु विज्ञान के अनुसार सोयी हुई भूमि भी नियमित शंखनाद से जाग उठती है। भूमि के जागृत होने से रोग-शोक और कष्टों में कमी आती है तथा परिवार के सदस्य सुख-समृद्धि की ओर बढते रहते हैं। 

वास्तुदोष के प्रभाव को कम करने के लिए नित्यप्रति शंख में गाय का दूध रखकर इसका छिड़काव घर में किया जाए तो इससे भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। भगवान की पूजा में शंख बजाने के पीछे यह उद्देश्य होता है कि आस-पास का वातावरण शुद्ध और पवित्र रहे। वास्तु के अनुसार जिस घर में शंख रखा होता है, वहां हर तरफ सकारात्मक ऊर्जा का संचार रहता है।

नासा के अनुसार शंख बजाने से खगोलीय ऊर्जा का उत्सर्जन होता है जो कीटाणुओं का नाश कर लोगों में ऊर्जा व शक्ति का संचार करता है। शंख में कैल्शियम की मात्रा बहुत होती है, इसमें रात को पानी भर कर सुबह पीने से शरीर को कैल्शियम मिलता है। 

शंख बजाने से योग की तीन क्रियाएं एक साथ होती हैं कुम्भक, रेचक और प्राणायाम,जिससे शरीर निरोगी रहता है। इसके अलावा शंख बजाने से हृदयाघात, रक्तचाप की अनियमितता, दमा एवं मंदाग्नि जैसी बीमारियों में लाभ होता है एवं शंख बजाने से फेफड़े मजबूत बनते हैं। शंख की ध्वनि से दिमाग व स्नायु तंत्र सक्रिय रहता है।

शास्त्रों के अनुसार, जिस घर के पूजा स्थल में देवी लक्ष्मी के साथ शंख की स्थापना भी की जाती है और नियमित इसकी पूजा होती है, वहां देवी लक्ष्मी स्वयं निवास करती हैं। ऐसे घर में धन संबंधी परेशानी कभी नहीं आती है। जहां कहीं भी शंख ध्वनि होती है वहां लक्ष्मीजी सम्यक रूप प्रकार से विराजमान रहती हैं। दक्षिणावर्ती शंख के शीर्ष में चन्द्र देवता, मध्य में वरुण, पृष्ठ भाग में ब्रह्मा और अग्र भाग में गंगा , यमुना तथा सरस्वती का वास माना गया है। इसके पवित्र जल को तीर्थमय माना जाता है। जो शंख के जल से स्नान कर लेता है ,उसे सम्पूर्ण तीर्थों में स्नान का फल प्राप्त हो जाता है। जहां पर शंख रहता है, वहां भगवान श्रीहरि, भगवती लक्ष्मी सहित सदा निवास करते हैं और अमंगल दूर से ही भाग जाता है। शंख का जल सभी को पवित्र करने वाला माना  गया है, इसी वजह से आरती के बाद श्रद्धालुओं पर शंख से जल छिड़का जाता है।

मंगलवार को शंख बजा कर सुन्दर काण्ड पढ़ने से मंगल ग्रह का कुप्रभाव कम होता है और हनुमानजी की कृपा बनी रहती है।  
शंख में साबुत चावल भर के उसे लाल कपड़े में लपेटकर तिजोरी में रखें। आप पर मां अन्नपूर्णा की कृपा सदैव बनी रहेगी।  
बुधवार के दिन शालिग्राम जी को शंख में जल व तुलसी डालकर अभिषेक करने से बुध ग्रह ठीक होता है।
शंख को केसर से तिलक कर पूजा करने से भगवन विष्णु व गुरु ग्रह की प्रसन्नता मिलती है।
शंख सफ़ेद कपड़े में रखने से शुक्र ग्रह बलवान होता है।  
शंख में जल ड़ाल कर सूर्यदेव को अर्घ्य देने से सूर्य देव का आशीर्वाद मिलता है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com