कोरोना के बढ़ने के साथ ही हरियाणा सरकार की चिंता भी बढ़ गई है। प्रदेश में रोजाना 2500 से 3000 लोग संक्रमित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा है कि पिछले नौ महीने का अनुभव बताता है कि हमें सावधान होकर इस लड़ाई को लड़ना होगा। उन्होंने प्रदेशवासियों से भावनात्मक अपील की है कि मास्क के बिना घर से बाहर न निकलें और दो गज की दूरी बनाए रखें। इम्यूनिटी बूस्टर का सेवन करते रहें। यह बात उन्होंने टेलीविजन के माध्यम से प्रदेश की जनता से मुखातिब होते हुए कही।
सीएम ने अपील की कि लोग हर समय अपनी जेब में 4-5 मास्क डालकर रखें और जब भी किसी को बिना मास्क देखें तो उसे तुरंत मास्क देकर पहनने को कहें। सरकार पर्याप्त मात्रा में मास्क उपलब्ध करवाने की व्यवस्था कर रही है और स्वास्थ्य विभाग को एक करोड़ मास्क तैयार करवाने को कहा गया है।
मास्क न पहनने पर जुर्माना राशि 500 या 2000 रुपये करने से कोई खास फर्क नहीं पड़ता क्योंकि हर चीज को दंड से ठीक नहीं किया जा सकता। लेकिन बार-बार नियम तोड़ने वालों को दंडित अवश्य किया जाना चाहिए।
दोबारा लॉकडाउन लगाने की संभावना पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे कठिनाई ज्यादा होती है। पहले जब लॉकडाउन लगाया गया था तो बाजार, फैक्ट्रियां व कारोबार बंद हो गए थे। इसलिए हमें इस बात का ध्यान रखना है कि ऐसा दोबारा न करना पड़े।
मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा सरकार के पास पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध हैं। मृत्यु दर भी अन्य प्रदेशों के मुकाबले कम है। हरियाणा में मृत्यु दर 1.01 प्रतिशत है जबकि पंजाब में यह 3.2 प्रतिशत है। इसी तरह, राज्य में रिकवरी दर 90 प्रतिशत है और प्रदेश में रोजाना 35 हजार टेस्ट किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने टेलीविजन के माध्यम से प्रदेश की जनता को बताया कि राज्य में अब तक 12.5 प्रतिशत के हिसाब से लगभग 32 लाख लोगों का टेस्ट किया जा चुका है।
सीरो टेस्ट के दौरान पता लगा कि 14 प्रतिशत लोग ऐसे थे, जिनका टेस्ट भी नहीं हुआ और वे पॉजिटिव होकर ठीक हो चुके हैं। ऐसे लोगों की संख्या लगभग 35 लाख है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में कोविड-19 की टेस्टिंग के लिए 28 लैब बनाई गई हैं और बढ़ते मामलों के दृष्टिगत 46 हजार बेड की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, पांच प्लाज्मा बैंक भी बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि अब तक 3729 लोगों ने प्लाज्मा दान किया है और 2522 लोगों को यह चढ़ाया गया है।
सीएम ने कहा कि कुछ राजनीतिक दल तीन कृषि कानूनों के बारे में किसानों को बरगला रहे हैं। ऐसे में उन्हें सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कुछ किसान संगठनों ने तीन कानूनों के मुद्दे पर दिल्ली जाने का आह्वान किया है। अब चूंकि ये तीनों विधेयक कानून का रूप ले चुके हैं, इसलिए इनका विरोध करने का कोई औचित्य नहीं है।