नियमित व्यायाम से इम्यून कोशिकाओं का संचरण बढ़ जाता है जिससे हमारा शरीर संक्रमण से बेहतर ढंग से लड़ पाता है। शोधकर्ता हल्के व्यायाम जैसे टहलना साइकिलिंग और दौड़ने की जगह रेजिस्टेंस एक्सरसाइज जैसे पुशअप स्क्वैट्स और प्लैंक की सलाह देते हैं।
नई दिल्ली। कोरोना वायरस से देश-दुनिया में जंग जारी है। इस वायरस से मुकाबले के लिए जानकारी और सावधानी बेहद अहम हैं। इसलिए देश-दुनिया में जारी शोध से जो जानकारियां सामने आ रही हैं, उनसे अवगत होना बेहद जरूरी है। इसलिए हम आपको कोरोना वायरस से जुड़ी पांच नई अहम जानकारियां दे रहे हैं। इसमें से चार जानकारियां आपकी उम्मीदें बढ़ाएंगी और एक सतर्कता।
- रेजिस्टेंस एक्सरसाइज से कोरोना वैक्सीन ज्यादा असर करेगी
जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स एंड हेल्थ साइंस में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, नियमित व्यायाम से इम्यून कोशिकाओं का संचरण बढ़ जाता है, जिससे हमारा शरीर संक्रमण से बेहतर ढंग से लड़ पाता है। शोधकर्ता हल्के व्यायाम जैसे टहलना, साइकिलिंग और दौड़ने की जगह रेजिस्टेंस एक्सरसाइज जैसे पुशअप, स्क्वैट्स और प्लैंक की सलाह देते हैं। इन रेजिस्टेंस एक्सरसाइज से मांसपेशियां बनती हैं, कैलोरी बर्न होती है और वजन घटता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इन व्यायाम को करने से जब कोरोना वैक्सीन आपको लगाई जाएगी, तो वह ज्यादा असर करेगी। तो वैक्सीन का इंतजार कर रहे लोग रेजिस्टेंस एक्सरसाइज में जुट जाएं।
- कम वायरस से संक्रमित होना कम खतरनाक
वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस की जिस मात्रा यानी डोज से कोई व्यक्ति संक्रमित होगा, इससे यह साफ होगा कि वह व्यक्ति कितना बीमार होगा। यानी जो व्यक्ति कोरोना वायरस की कम मात्रा से संक्रमित होगा, उसके एसिम्टोमैटिक (बिना लक्षण वाले मरीज) होने की संभावना ज्यादा होगी। वहीं, जो व्यक्ति वायरस की अधिक मात्रा से संक्रमित होगा, वह हल्के संक्रमण वाला होगा। इसी तरह वायरस के ज्यादा डोज से संक्रमित होने वाले पर अस्पताल में भर्ती होने का खतरा ज्यादा हो जाएगा। मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी में जीव विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ एरिन ब्रोमेज बताती हैं कि इस शोध से साबित होता है कि मास्क काफी कारगर है, क्योंकि मास्क वायरस को रोक देता है और अगर आप संक्रमित होते भी हैं तो वायरस की काफी कम मात्रा ही आपके शरीर के भीतर प्रवेश कर पाएगी।
- 6 महीने से ज्यादा समय से कायम है कोरोना एंटीबॉडीज
पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड की नई शोध रिपोर्ट की मानें तो कोरोना निगेटिव हो चुके लोगों में छह महीने से ज्यादा समय तक एंटीबॉडी कायम है। यह शोध कोरोना संक्रमित हो चुके 2000 लोगों पर किया गया। इस शोध के लिए मार्च के पहले से इन लोगों के ब्लड सैंपल लिए जा रहे हैं। इस शोध से पहले शोधकर्ताओं का मानना था कि कोरोना एंडीबॉडीज 6 महीने में नष्ट हो जाती हैं और व्यक्ति दोबारा संक्रमित हो सकता है।
- 10 गुनी शक्तिशाली नैनोपार्टिकल कोरोना वैक्सीन
दुनिया भर में कोरोना वैक्सीन पर जारी ढेर सारे प्रयोगों के बीच यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसीन ने नैनोपार्टिकल से लैस वैक्सीन पर प्रयोग शुरू कर दिया है। चूहों पर हुए प्रयोग के बीच दावा किया गया है कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए जितनी इम्यूनिटी चाहिए, इस नैनोपार्टिकल वैक्सीन में उनकी दस गुना ताकत है। यानी भविष्य में अगर कोरोना का कोई खतरनाक प्रकार भी आएगा, तो यह वैक्सीन उसका आसानी से मुकाबला कर लेगी। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस वैक्सीन में मौजूद नैनोपार्टिकल्स कोरोना वायरस के आकार की नकल कर उसका मुकाबला करते हैं।
- वयस्क ही नहीं, बच्चे भी हो रहे कोरोना के लंबे संक्रमण के शिकार
ब्रिटेन में कई ऐसे कोरोना केस सामने आए हैं, जिनसे पता चलता है कि सिर्फ वयस्क ही नहीं, बच्चे भी कोरोना के लंबे संक्रमण के शिकार हो रहे हैं, जैसे दो बच्चे पिछले सात महीने से कोरोना वायरस से जंग लड़ रहे हैं। शोध के मुताबिक, 20 में से एक व्यक्ति में तीन महीने तक कोरोना वायरस के लक्षण रह सकते हैं। इस अध्ययन से चेतावनी मिलती है कि हमें बच्चों को भी कोरोना वायरस के बचाने की पूरी कोशिश करनी है। भले ही उनके संक्रमित होने की संभावना काफी कम हो