इतिहासकार और अमेरिकन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एलन लिचमैन 36 साल से अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में विजेता की सटीक भविष्यवाणी करते रहे हैं. साल 2016 में डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति चुनाव में जीत की भविष्यवाणी भी इन्होंने ही की थी. हालांकि इस बार लिचमैन का कहना है कि ट्रंप को दोबारा सत्ता में आने का मौका नहीं मिलेगा.
लिचमैन की ये भविष्यवाणी व्हाइट हाउस के 13 बुनियादी पैमानों पर आधारित हैं. इसमें अर्थव्यवस्था की ताकत, इनकंबेंसी, कॉन्टेस्ट, योजनाओं में बदलाव, घोटाले, सामाजिक अशांति जैसे फैक्टर शामिल हैं. उनके स्केल के मुताबिक, अगर इनमें से छह या उससे ज्यादा फैक्टर खराब हैं तो व्हाइट हाउस में ट्रंप प्रशासन नहीं रहेगा.
फॉक्स न्यूज पर ऑन एयर हुए ‘दि मॉर्निंग शो’ में लिचमैन ने कहा कि पारंपरिक रूप से चुनावों का अनुमान उम्मीदवारों की तुलना करके लगाया जाता है. हालांकि उनका ध्यान अभी सत्ताधारी पार्टी के बाकी रिकॉर्ड्स पर केंद्रित है. एलन लिचमैन ने कहा कि मेरे तय किए 13 पैमानों में छह नकारात्मक बातें रिपब्लिकन के डोनाल्ड ट्रंप की हार का इशारा करती हैं. जबकि 2019 तक ट्रंप के बारे में केवल 4 नकारात्मक बातें थीं.
बीते कुछ महीनों में तीन चीजें ट्रंप प्रशासन के खिलाफ गई हैं. कुल मिलाकर सात ऐसे मुद्दे हैं, जिनकी वजह से राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप के हारने की संभावना जताई जा रही है.
ये सभी बातें इस बुनियाद पर आधारित हैं कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को मुख्य रूप से वोट दिया जाता है या इस आधार पर कि व्हाइट हाउस में पार्टी ने कितनी अच्छी तरह से शासन चलाया है. भाषण, वाद-विवाद, विज्ञापन, कैंपेन और फंडरेजर्स के ट्रिक का चुनाव के परिणाम पर कोई असर नहीं होता है.
लिचमैन ने इस बारे में कहा, ‘2016 और वर्तमान स्थिति में फर्क सिर्फ इतना है कि ट्रंप आज सत्ता में हैं. इसका मतलब ट्रंप अपने ही रिकॉर्ड पर चल रहे हैं. 2016 में उनके पास रिकॉर्ड को डिफेंड करने का विकल्प नहीं था. वह जो चाहे कह सकते थे. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. हालांकि सत्ता में रहते हुए उन्होंने एक भारी गलती की है.’
लिचमैन ने कहा, ‘स्टडी के बीच मैं अपनी दीवार पर देख रहा हूं. मेरे पास 2016 में राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप की जीत का एक नोट है. इस पर लिखा है- प्रोफेसर, बधाई, गुड कॉल. और बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है डोनाल्ड जे. ट्रंप. उन्होंने भी मेरी भविष्यवाणी को सराहा था, लेकिन वो उसके पीछे की थीसिस नहीं समझे. जब 2020 में उनका सामना महामारी और सोशल जस्टिस की मांग जैसे बड़े संकटों से हुआ तो उन्होंने इसे गंभीरता से लेने की बजाय अपने तरीके से निपटना बेहतर समझा.’
ये परिणाम कहते हैं कि महामारी ने तबाही मचा रखी थी.अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी. सामाजिक अशांति से जमीन डगमगा रही थी. साल 2020 की शुरुआत होते ही ये तीनों चीजें डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ चली गई थीं.