PM मोदी : श्रीमान नीतीश जी की अगुवाई में यहां बेहतर तालमेल वाली, तेजी से काम करने वाली सरकार बने इसके लिए आपका मतदान जरूर करना है। आपका वोट इसलिए जरूरी है ताकि बिहार फिर से बीमार न पड़ जाए।
जिन आशाओं और अपेक्षाओं के साथ आपने केंद्र में हमें अवसर दिया उनको तेजी से पूरा करने के लिए बिहार में फिर भाजपा, जेडीयू, हम पार्टी और वीआईपी पार्टी का गठबंधन यानी एनडीए सरकार जरूरी है
ऐसे में बिहार को फिर उस पुराने अंधकार में ले जाने की जो तैयारी की जा रही है, जो ललचाए बैठे कुछ लोग हैं, उनसे आपको सावधान रहना है, सतर्क रहना है।
नवादा और औरंगाबाद सहित बिहार के वो जिले जो विकास की दौड़ में पीछे छूट गए हैं उनको आकांक्षी जिलों के तौर पर चुना गया है। इन जिलों में अब शिक्षा, स्वास्थ, पोषण, इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे तमाम पहलुओं को प्राथमिकता दी जा रही है।
हिंसा और अराजकता से बाहर निकालकर इस पूरे क्षेत्र को विकास की पटरी पर लाने के लिए बीते सालों में बहुत मेहनत की गई है।
बीते वर्षों में बिहार के इस हिस्से को नक्सलियों के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए कड़े कदम उठाए गए हैं। अब नक्सलवाद को देश के एक छोटे से हिस्से में समेट दिया गया है।
लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार की बहनों से मैंने कहा था कि आपको पीने के पानी की समस्या का समाधान देकर रहेंगे। इस दिशा में जल जीवन मिशन के तहत तेजी से काम चल रहा है।
बीते सालों में गरीब, वंचित, दलित, शोषित, पिछड़े, अति पिछड़ों के सशक्तिकरण के लिए एक के बाद एक बड़े सुधार किए गए हैं। अब गरीबों और वंचितों को उनके हक का पूरा लाभ दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। सुशासन के लिए टेक्नोलॉजी को आधार बनाया गया है।
गया जी का ये पूरा क्षेत्र भारत के ज्ञान, आस्था और आध्यात्म का केंद्र रहा है। ये कितनी बड़ी बिडंबना है कि जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ, उस धरती को नक्सली हिंसा और जघन्य हत्याकांडों में झोंक दिया गया।
पहले राशन हो, गैस सब्सिडी हो, पेंशन हो, स्कॉलरशिप हो, हर जगह घोटाला-घपला चलता था। अब आधार, फोन और जनधन खाते से सब जुड़ चुका है। अब गरीब को उसका पूरा हक समय पर मिलना सुनिश्चित हुआ है।
देश को तोड़ने की, देश को बांटने की वकालत करने वालों पर जब एक्शन लिया जाता है, तो ये लोग उनके साथ खड़े हो जाते हैं। इन लोगों का मॉडल रहा है बिहार को बीमार और लाचार बनाना।
बिहार के चुनाव इस बार दो कारणों से अहम हैं, एक तो कोरोना महामारी के बीच ये पहला बड़ा चुनाव है, जहां इतनी बड़ी संख्या में मतदान होने वाला है। इसलिए नजर इस बात पर है कि खुद को सुरक्षित रखते हुए बिहार लोकतंत्र को कैसे मजबूत करता है।
90 के दशक में बिहार के लोगों का अहित किया गया, बिहार को अराजकता और अव्यवस्था के किस दलदल में धकेल दिया ये आप में से अधिकांश ने अनुभव किया है। आज भी बिहार की अनेक समस्याओं की जड़ में 90 के दशक की अव्यवस्था है, कुशासन है।
एनडीए के विरोध में इन लोगों ने मिलकर जो ‘पिटारा’ बनाया है, जिसे ये लोग महागठबंधन कहते हैं, उसकी रग-रग से बिहार के लोग वाकिफ हैं। वो लोग जो नक्सलियों को, हिंसक गतिविधियों को खुली छूट देते रहे, आज वो एनडीए के विरोध में खड़े हैं।
नवादा और औरंगाबाद सहित बिहार के वो जिले जो विकास की दौड़ में पीछे छूट गए हैं उनको आकांक्षी जिलों के तौर पर चुना गया है। इन जिलों में शिक्षा, स्वास्थ, पोषण, इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे तमाम पहलुओं को प्राथमिकता दी जा रही है।
बीते वर्षों में बिहार के इस हिस्से को नक्सलियों के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए कड़े कदम उठाए गए हैं। अब नक्सलवाद को देश के एक छोटे से हिस्से में समेट दिया गया है।
आज बिहार के इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, आईआईटी, आईआईएम जैसे संस्थान खोले जा रहे हैं। यहां बोधगया में भी तो आईआईएम खुला है जिस पर सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। वरना बिहार ने वो समय भी देखा है, जब यहां के बच्चे छोटे-छोटे स्कूलों के लिए तरस जाते थे।
ये वो दौर था जब बिजली संपन्न परिवारों के घर में होती थी, गरीब का घर दीए और ढिबरी के भरोसे रहता था। आज के बिहार में लालटेन की जरूरत खत्म हो गई है। आज बिहार के हर गरीब के घर में बिजली का कनेक्शन है, उजाला है।
ये वो दौर था जब लोग कोई गाड़ी नहीं खरीदते थे, ताकि एक राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ताओं को उनकी कमाई का पता न चल जाए। ये वो दौर था जब एक शहर से दूसरे शहर में जाते वक्त ये पक्का नहीं रहता था कि उसी शहर पहुंचेंगे या बीच में किडनैप हो जाएंगे।
दूसरा ये चुनाव इस दशक में बिहार का पहला चुनाव है, एनडीए की जीत के साथ ये चुनाव बिहार की भूमिका को और मजबूत करेगा।
बिहार के चुनाव इस बार दो कारणों से अहम हैं, एक तो कोरोना महामारी के बीच ये पहला बड़ा चुनाव है, जहां इतनी बड़ी संख्या में मतदान होने वाला है। इसलिए नजर इस बात पर है कि खुद को सुरक्षित रखते हुए बिहार लोकतंत्र को कैसे मजबूत करता है।