यूपी : गवाह को धमकाने के मामले में स्पेशल कोर्ट ने पूर्व सांसद अतीक अहमद की जमानत निरस्त की

गवाह को धमकाने के मामले में स्पेशल कोर्ट एमपी एमएलए ने पूर्व सांसद अतीक अहमद की जमानत निरस्त कर दी है। इस प्रकरण में अतीक अहमद को 24 जुलाई 2002 को जमानत मिली थी अभियोजन द्वारा अतीक की जमानत निरस्त करने की अर्जी न्यायालय में लंबित चल रही थी, जिस पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। अतीक अहमद वर्तमान में सुप्रीमकोर्ट के निर्देश से साबरमती जेल अहमदाबाद में बंद है। यह आदेश स्पेशल जज डॉ. बालमुकुंद ने डीजीसी जीसी अग्रहरी, विशेष लोक अभियोजक वीरेंद्र सिंह और एडीजीसी राजेश गुप्ता को सुनकर दिया है।

मामला करेली थाने का है। वादी कसारी मसारी निवासी अशरफ ने अतीक व अन्य के खिलाफ धमकाने का मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप है कि 22 जून 2002 को अतीक अहमद के पिता, भाई और अन्य लोग उसके प्लॉट पर आए थे और एक मुकदमे में गवाही न देने का दबाव बनाया था। इस प्रकरण में अतीक अहमद को जिला न्यायालय से 24 जुलाई 2002 को जमानत मिल गई थी। नैनी स्थित शुआटस संस्थान में घुसकर मारपीट करने का मुकदमा अतीक पर दर्ज हुआ तो मामला हाईकोर्ट पहुंच गया।

हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई तो अभियोजन ने अतीक पर दर्ज पुराने तमाम मुकदमों में जमानत निरस्त करने की अर्जियां अदालत में दाखिल कीं। पूर्व डीजीसी राम अभिलाष सिंह ने अतीक अहमद के खिलाफ कर्नलगंज, करेली, धूमनगंज और खुल्दाबाद थानों में दर्ज मुकदमों, जिसमें अतीक अहमद को पूर्व में जमानत मिली चुकी थी, के संबंध में 2017 को जमानत निरस्त करने की अर्जी प्रस्तुत की थी। वर्तमान में जमानत निरस्त करने के संबंध में दाखिल सभी प्रार्थना पत्र स्पेशल जज एमपी एमएलए कोर्ट में लंबित हैं।

शुक्रवार को करेली के इस मामले में जमानत निरस्त करने के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई हुई। अभियोजन की ओर से कहा गया कि अभियुक्त अतीक अहमद के खिलाफ 2017 तक कुल 75 आपराधिक मामले दर्ज हो चुके थे। पुलिस रिपोर्ट के अनुसार जमानत पाने के बाद अतीक अहमद आपराधिक गतिविधियों में संलग्न है। अभियोजन ने शुआटस संस्थान की घटना का विशेष रुप से हवाला दिया । कहा गया कि अतीक अहमद ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है।

कोर्ट ने उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय की विधि व्यवस्थाओं का हवाला देते हुए अभियोजन की अर्जी मंजूर कर ली है। और करेली थाने में गवाहों को धमकाने के मामले में जमानत निरस्त कर दी है । कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा है कि अभियुक्त का पक्ष रखने कोई उपस्थित नहीं हुआ, जबकि उन्हें कई बार अवसर दिया जा चुका है। प्रार्थना पत्र 2017 से लंबित है। अतीक अहमद के जमानत निरस्त करने के अन्य प्रार्थना पत्रों पर भी सुनवाई हो चुकी है।

 

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