पठानकोट के थरियाल गांव में सुरेश रैना के फूफा और भाई का कत्ल और लूट करने वाले आरोपी किसी हथियार का इस्तेमाल नहीं करते हैं। लूटपाट में कोई उनके आड़े आता तो वह लकड़ी के डंडों से ही सिर और जबड़ों पर वार करते हैं। वारदात के बाद डंडों को छिपाकर फरार हो जाते हैं। यही डंडे ही उनके हथियार हैं। इस मामले में आरोपियों के बारे में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं…

आरोपी वीरान स्थानों पर झुग्गियां बनाकर डेरा जमाते हैं। फिर कचरा बीनने के बहाने रेकी करते हैं। आरोपी रेकी के लिए वारदात वाले स्थान से एक व्यक्ति को भी गैंग का हिस्सा बनाते थे। इसकी पुष्टि एसएसपी गुलनीत सिंह खुराना ने की।
एसएसपी के मुताबिक गिरफ्तार आरोपियों ने कबूला है कि उन्होंने पंजाब के जगरावं के अलावा जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, राजस्थान में भी कई वारदातों को अंजाम दिया है। आरोपी राजस्थान के जिला झुंझनू के थाना सूरजगढ़ के गांव चिरावा निवासी नौसो उर्फ इस्लाम पूरे घटनाक्रम का मास्टर माइंड है। उसके पास एक ऑटो है।
आरोपी वारदात से सात दिन पहले ऑटो से चले थे। सफर के दौरान एक दिन जगरावं में बिताया और लगभग 500 किमी का सफर तय कर पठानकोट पहुंचे। वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपियों में से छह लोग उसी ऑटो में वापस झुंझनू पहुंच गए थे। एसएसपी ने बताया कि रैना के फूफा के घर के पास शटरिंग स्टोर था।
रेकी के दौरान आरोपियों ने उसे देख लिया था और इसी के चलते शटरिंग स्टोर के आसपास के तीन घरों को वारदात के लिए चिह्नित किया। इसी के पास सफेदे के पेड़ भी थे। वहां से आरोपियों ने डंडे काटे और उसे हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया। पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि परिवार को घायल करने के बाद वह रसोई में पहुंचे और खाना खाया और फिर रसोई में पड़ा सारा राशन बोरियों में भर लिया।
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