मौजूदा समय में प्लास्टिक का महत्व दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है लेकिन प्लास्टिक इस समय जितनी उपयोगी है उतना ही उससे पर्यावरण को नुकसान है। प्लास्टिक का प्राकृतिक रूप ऐसा है कि इसका विखंडन नहीं हो सकता, इसलिए एक बार प्लास्टिक इस्तेमाल करने के बाद उसे फेंक दिया जाता है।
हाल ही में साइंस एडवांस जर्नल में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक अब वैज्ञानिकों ने ऐसा प्लास्टिक तैयार किया है, जिसको कितनी बार भी इस्तेमाल या रिसाइकिल किया जा सकता है लेकिन उससे उसके गुणों में कोई कमी नहीं आएगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि प्लास्टिक को दोबारा इस्तेमाल करने या रिसाइकिल करने के बाद इसकी गुणवत्ता में कमी आ जाती है।
यही कारण है कि प्लास्टिक को कचरा समझकर ज्यादा मात्रा में फेंक दिया जाता है लेकिन इस शोध के बाद से प्लास्टिक को आसानी से रिसाइकिल किया जा सकेगा और बड़ी मात्रा में फेंका भी नहीं जाएगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि प्लास्टिक को पिघलाकर दूसरे रूप देने से उनकी गुणवत्ता में कमी आ जाती है।
लेकिन हाल ही किए गए शोध में अलग तरह का प्लास्टिक तैयार किया गया है, इसे पीबीटीएल भी कहते हैं। ये प्लास्टिक बाइसाइकिल थियोलौक्टोन्स नामक रसायनिक मूलभूत अंगों से मिलकर बना है। बता दें कि प्लास्टिक पॉलीमर्स नाम के बड़े अणुओं से मिलकर बना होता है।
न्यूसाइंटिस्ट के मुताबिक पीबीटीएल के टिकाऊपन का जांचने के लिए शोधकर्ताओ ने इस प्लास्टिक के बड़े हिस्से को उत्प्रेरक की मौजूदगी में 212 डिग्री फारेनहाइट यानि कि 100 डिग्री सेल्सियस पर 24 घंटे के लिए पिछलाया और पिछलाकर उसे दूसरे तरीके से इस्तेमाल करने की कोशिश की।
इस शोध के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि नया पीबीटीएल उतना ही मजबूत था जितना मूल पीबीटीएल का प्लास्टिक था। शोधकर्ताओं का मानना है कि अब लोग ज्यादा प्लास्टिक फेंकने लगे हैं, इससे पर्यावरण को तो नुकसान हो ही रहा है साथ ही सीमिटत प्राकृतिक संसाधनों का दोहन भी तेजी से हो रहा है।
शोधकर्ताओं का मानना है कि नए तरह के प्लास्टिक का इस्तेमाल ना केवल सोडा या दूसरी बोतल को बनाने में किया जा सकता है बल्कि इससे कारों के पुर्जे और निर्माण सामग्री भी आसानी से बनाई जा सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे लाखों टन प्लास्टिक की बचत होगी और अपना पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।