दिल्ली हिंसा के प्रमुख आरोपी ताहिर हुसैन की पार्षद के रूप में नगर निगम सदस्यता खत्म कर दी गई है। यह निर्णय पूर्वी दिल्ली नगर निगम की बुधवार को हुई बैठक में एक प्रस्ताव पास करके लिया गया। ताहिर हुसैन की सदस्यता खत्म करने के लिए निगम की बैठकों में उसके लगातार भाग न लेने को आधार बनाया गया है।

लेकिन सदन से उसकी सदस्यता खत्म करने की पूरी प्रक्रिया में दिल्ली हिंसा का कहीं कोई जिक्र नहीं किया गया है। ताहिर हुसैन की सदस्यता खत्म करने की सूचना उपराज्यपाल अनिल बैजल को भेज दी गई है।
दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में ताहिर हुसैन पर आईबी अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या करने, हत्या की साजिश रचने, हिंसा के लिए लोगों को उकसाने और हिंसा के लिए अवैध तरीके से धन एकत्रित करने का आरोप लगाया है।
पूर्वी दिल्ली नगर निगम के महापौर निर्मल जैन ने अमर उजाला को बताया कि ताहिर हुसैन निगम की बैठकों में जनवरी माह से ही लगातार अनुपस्थित चल रहे थे। इस दौरान जनवरी, फरवरी, जून, जुलाई और अगस्त महीने में पांच बैठकें हुई हैं।
लेकिन वे इनमें से एक में भी उपस्थित नहीं हुए। नगर निगम एक्ट के नियम 33(2) के मुताबिक निगम की लगातार तीन बैठकों में बिना सूचना के अनुपस्थित होने सदस्यता खत्म करने का आधार होता है। इसी नियम के तहत उनकी सदस्यता खत्म की गई है।
भाजपा दिल्ली प्रदेश के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर और कृष्णा नगर से निगम पार्षद संदीप कपूर ने ताहिर हुसैन की सदस्यता को खत्म करने के लिए सबसे पहले आवाज उठाई थी।
इन नेताओं ने आरोप लगाया था कि ताहिर हुसैन दिल्ली हिंसा के मुख्य आरोपी हैं। नेताओं ने आरोप लगाया है कि ताहिर हुसैन के कारण पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़के थे, जिनके कारण 53 निर्दोष लोगों की जान चली गई।
हालांकि, आम आदमी पार्टी ने यह कहते हुए दिल्ली हिंसा के आरोपी ताहिर हुसैन का बचाव किया था कि उन्हें राजनीतिक कारणों से फंसाया जा रहा है और वे हिंसा में शामिल नहीं थे।
पार्टी ने यह भी आरोप लगाया था कि दिल्ली हिंसा की जांच के दौरान पुलिस एक खास समुदाय के लोगों को निशाना बना रही है। दिल्ली हाईकोर्ट और दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने भी दिल्ली पुलिस की जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे।
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