जब भी भगवान राम की बात होती है, तो उनके शत्रु रावण के बारे में भी बातें सामने आ ही जाती है. रावण न होता तो शायद आज राम मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम न कहलाते. श्री राम और रावण चाहे एक दूसरे के विरोधी हो हालांकि फिर भी कुछ ऐसी बातें हैं जो दोनों को ही एक समान बनाती है. तो आइए जानते हैं श्री राम और रावण की कुछ समानता के बारे में…
शिव जी के भक्त…
भगवान राम शिव नाम का जाप किया करते थे. रामेश्वरम मंदिर इस बात का प्रमाण है. वनवास के दौरान श्री राम ने शिवलिंग का निर्माण किया था. वहीं रावण के समान आज तक कोई शिव भक्त नहीं हुआ. रावण को सबसे बड़ा शिव भक्त कहा जाता है. रावण भगवान शिव की भक्ति में लीन रहता था.
कुंडली में समानता..
श्री राम और रावण की कुंडली में भी समानता देखने को मिलती है. श्री राम और रावण दोनों की ही कुंडली में शनि तुला राशि में, मंगल मकर राशि में और गुरु लग्न अर्थात कुंडली के पहले घर में विराजमान है.
दोनों के नाम की शुरुआत..
भगवान श्री राम और रावण के नाम में यह समानता है कि दोनों का ही नाम ‘रा’ अक्षर से शुरू होता है.
पंच महापुरुष
भगवान श्री राम और रावण की कुंडली में पंच महापुरुषयोग बना हुआ है. ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से यह योग बेहद ही शुभ माना जाता है. इस तरह के व्यक्ति अपने जीवन काल में खूब धन वैभव और नाम कमाते हैं. मृत्यु के बाद भी इनका नाम अमर ही रहता है.
रिश्ते की अहमियत…
रावण अपनी बहन शूर्पणखा के लिए श्री राम से लड़ गया, तो वहीं उसने श्री राम का गुणगान करने वाले अपने भाई विभीषण का भी त्याग किया. यहीं बात राम जी में भी देखने को मिलती है. श्री राम ने जहां अपनी पत्नी के लिए पूरी लंका को तहस-नहस कर दिया तो वहीं अपने सबसे छोटे भाई शत्रुघ्न को सुंदर नामक राक्षस की नगरी का राजा बनाया और उन्हें खुद से दूर कर दिया. जबकि राम ने धरती पर अपने अंतिम समय में अपने वचन पर अडिग रहते हुए लक्ष्मण जी को मृत्युदंड प्रदान किया.