चीन के साथ जारी सीमा तनाव के बीच भारतीय सशस्त्र बल अपने हेरॉन ड्रोन को लेजर गाइडेड बम और एंटी टैंक मिसाइल जैसी क्षमताओं से लैस करने की योजना बना रहे हैं। इससे सुरक्षा बलों को दुश्मन के नापाक इरादों से निपटने में और अपनी सीमा पर अपनी स्थिति को मजबूत करने में मदद मिलेगी। बता दें कि इन इस्रायली हेरॉन ड्रोन का इस्तेमाल वर्तमान में भारत की तीनों सेनाएं कर रही हैं।

सशस्त्र बलों ने इसके लिए ‘प्रोजेक्ट चीता’ नाम के प्रस्ताव को फिर शुरू किया है। यह प्रस्ताव काफी समय से लंबित है और इस पर 3500 करोड़ रुपये से ज्यादा लागत आने का अनुमान है। समाचार एजेंसी के अनुसार सूत्रों ने बताया, ‘इस प्रोजेक्ट के तहत लगभग तीनों सेनाओं के 90 हेरॉन ड्रोन को लेजर गाइडेड बम, हवा से जमीन में और हवा में मार कर सकने वाली एंटी टैंक मिसाइलों से लैस कर अपग्रेड किया जाएगा।’
इस प्रोजेक्ट में सशस्त्र बलों ने ड्रोन को मजबूत निगरानी सिस्टम से लैस करने का प्रस्ताव रङा है। इससे भारतीय बलों को दुश्मन की स्थिति जानने में मदद मिलेगी और इसमें लैस हथियारों से जरूरत पड़ने पर उन्हें तबाह भी किया जा सकेगा। भारत के मध्यम ऊंचाई वाले और लंबी क्षमतओं वाले ड्रोन या अनमैन्ड एरियल व्हीकल के बेड़े में मुख्यत: इस्राइली हेरॉन ड्रोन और उकरण शामिल हैं।
इन ड्रोन्स को थल सेना और वायु सेना दोनों ने ही चीन के साथ सीमा के पास लद्दाख सेक्टर में अग्रिम स्थानों पर तैनात किया है। ये ड्रोन चीनी सेना के पीछे हटने की स्थिति को पुष्ट करने में और गहराई वाले इलाकों में उनके द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्यों की जानकारी पाने में भी मदद कर रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि इन अपग्रेडेड ड्रोन का इस्तेमाल पारंपरिक सैन्य गतिविधियों और भविष्य में आंतक के खिलाफ भी किया जा सकेगा।
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