राजस्थान में सियासी दंगल लगातार बढ़ता जा रहा है. हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब राज्यपाल बनाम मुख्यमंत्री में जंग छिड़ गई है. एक तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा सत्र बुलाने की अपील की है, तो वहीं राज्यपाल कलराज मिश्र ने इसपर कोरोना का हवाला देकर इनकार किया है.
इस बीच गहलोत गुट की ओर से दावा किया जा रहा है कि उनका कोई भी विधायक कोरोना वायरस से पॉजिटिव नहीं है. साथ ही ये भी हवाला दिया गया है कि 19 जून को राज्यसभा चुनाव के दौरान एक विधायक ने पीपीई किट पहनकर वोट दिया था, ऐसे में कोरोना का बहाना नहीं बनाया जा सकता है.
इसके अलावा मध्य प्रदेश के राज्यसभा चुनाव में भी एक विधायक ने कोरोना पॉजिटिव होने के बावजूद वोट दिया था और वो पीपीई किट पहनकर मतदान करने पहुंचे थे.
गहलोत गुट की ओर से दावा किया जा रहा है कि उनके पास 109 विधायकों का समर्थन है, जबकि बहुमत के लिए सिर्फ 101 का आंकड़ा ही चाहिए.
शुक्रवार को हाईकोर्ट के द्वारा विधानसभा स्पीकर के नोटिस पर स्टे के बाद से ही अशोक गहलोत गुट में हलचल दिख रही है. गहलोत गुट ने तुरंत विधानसभा का सत्र बुलाने को कहा है, ताकि बहुमत साबित किया जा सके. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि उन्होंने इसके लिए राज्यपाल को चिट्ठी लिखी थी लेकिन उन्होंने सदन बुलाने से इनकार कर दिया है.
साफ है कि हाईकोर्ट से मिली राहत के बाद अब पायलट गुट के पास अधिक वक्त है, लेकिन गहलोत गुट का संकट बढ़ता जा रहा है.
क्योंकि कई विधायकों ने अब होटल में रहने को लेकर शिकायत कर दी है. ऐसे में अशोक गहलोत सरकार जल्द से जल्द इस संकट को दूर करना चाहती है.