कानपुर शूटआउट के मास्टरमांइड विकास दुबे का एनकाउंटर करने के बाद पूरी जानकारी के लिए पुलिस एक प्रेस ब्रीफिंग की बात कह रही थी. इसी के चलते यूपी के एडीजी (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने संक्षेप में मीडिया से बात की.
उन्होंने विकास दुबे के एनकाउंटर की कहानी बयां करते हुए बताया कि कैसे सड़क हादसे के बाद विकास दुबे ने भागने की कोशिश और कैसे वो पुलिस की गोलियों का शिकार हो गया. उन्होंने ये भी बताया कि बिकरू शूटआउट मामले में अभी कितने अपराधी फरार हैं और कितने जेल जा चुके हैं.
सुबह से इस पुलिस की मीडिया ब्रीफिंग का इंतजार हो रहा था. जब उत्तर प्रदेश के एडीजी (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार पत्रकारों से मुखातिब हुए तो उन्होंने वही सब बताया, जो एनकाउंटर के बाद से कानपुर पुलिस बताती रही है.
हालांकि एडीजी प्रशांत कुमार ने विस्तार से जानकारी देने की कोशिश की. एडीजी ने बताया कि इनामी बदमाश विकास दुबे को उज्जैन से गिरफ्तार कर पुलिस और एसटीएफ की टीम शुक्रवार की सुबह कानपुर नगर ला रही थी.
कानपुर नगर भौंती के पास पुलिस की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त होकर पलट गई. इस दौरान गाड़ी में सवार विकास दुबे और पुलिसकर्मी घायल हो गए.
तभी विकास दुबे ने घायल पुलिसकर्मी की पिस्टल छीन कर भागने लगा. पुलिस टीम ने उसे घेर कर आत्मसमर्पण करने के लिए कहा, लेकिन वह नहीं माना और पुलिस टीम पर फायर करने लगा.
पुलिस ने आत्मरक्षा में जवाबी फायरिंग की. इस दौरान विकास दुबे घायल हो गया. उसे अस्पताल ले जाया गया. जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
इस मुठभेड़ में सिविल पुलिस के 3 सब इंस्पेक्टर और एक कांस्टेबल घायल हो गए. जबकि एसटीएफ के 2 कमांडो भी गंभीर घायल हुए हैं.
एडीजी ने प्रशांत कुमार ने बताया कि कानपुर के बिकरू गांव में हुए शूटआउट के बाद विकास दुबे समेत 21 लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया था.
जबकि 60 से 70 अन्य अज्ञात लोग भी आरोपी हैं. इन आरोपियों में से पुलिस ने 6 को एनकाउंटर में मार गिराया. 3 लोग गिरफ्तार किए गए. 7 बदमाशों को 120बी के तहत जेल भेजा गया है. अब अभी इस मामले में 12 नामजद आरोपी वॉन्टेड है.