कोरोना वायरस के संक्रमण के पटरी से उतरे शैक्षिक सत्र को भी नियमित करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। कोरोना के संक्रमण के बढ़ते प्रसार के बीच में भी उत्तर प्रदेश में आज से स्कूल खुल गए हैं। अभी सभी स्कूलों में बच्चों को नहीं बुलाया गया है। सिर्फ प्रिंसिपल, शिक्षक तथा अन्य स्टॉफ स्कूल पहुंचा है। प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों ने भी ऑनलाइन शिक्षण कार्य शुरू करने की तैयारी की है, उसी को अब अमलीजामा पहनाया जाएगा।
प्रदेश में सभी सरकारी स्कूल आज से खुल गए हैं। अभी स्कूलों में किसी भी बच्चे को नहीं बुलाया गया है। सभी में सिर्फ प्रिंसिपल, शिक्षक तथा उनके अन्य सहयोगी ही पहुुंचे हैं। प्रिंसिपल के साथ टीचर्स तथा अन्य सहयोग स्टॉफ अब ऑनलाइन क्लास की तैयारी कर रही है। इसके साथ ही बच्चों से फीस लेने की भी योजना तैयार होगी। अभी सिर्फ सामथ्र्यवान अभिवासकों से फीस लेने पर चर्चा होगी। इसके साथ ही बच्चों से फीस को कई किस्त में लेने पर भी मुहर लग सकती है। वसूली जाएगी, असमर्थ अभिवाकों से किश्तों में ली जाएगी फीस।
प्रदेश के बेसिक तथा माध्यमिक शैक्षिक सत्र को पटरी पर लाने के साथ ही नियमित करने को लेकर प्रदेश सरकार ने आज से सभी स्कूल खोल दिए हैं। सरकार ने सभी शिक्षा बोर्डों के माध्यमिक विद्यालयों में ऑनलाइन शिक्षण और नए सत्र के प्रवेश के लिए छह जुलाई से प्रिंसिपल, शिक्षकों और गैर-शिक्षण कॢमयों को बुलाने की अनुमति दी है। प्रदेश की अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला ने इस बारे में आदेश जारी किए हैं। स्कूल संचालक अभी सिर्फ प्रिसिंपल, शिक्षकों और कर्मचारियों को केवल ऑनलाइन क्लास और एडमिशन के लिए बुला सकेंगे। फिलहाल, छात्रों को नहीं बुलाया जाएगा। सरकार ने निर्देश दिया है कि सभी स्कूल 15 जुलाई तक ऑनलाइन कक्षाएं शुरू करें।
इस संबंध में जारी आदेश के अनुसार अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा अराधाना शुक्ला का निर्देश है कि 15 जुलाई से ऑनलाइन क्लास शुरू करने से पहले सभी स्कूलों में कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार से बचने के लिए सभी उपाय किए जाऐं। सभी जगह पर सफाई के साथ स्कूल के भवनों व फर्नीचर आदि को पूरी तरह से सैनेटाइज करें। किसी भी स्कूल में किसी के आगमन से पहले उसकी थर्मल स्कैनिंग की जानी चाहिए। तापमान सामान्य से अधिक होने पर स्कूल में प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए। सीएमओ को सूचित किया जाना चाहिए।
अराधना शुक्ला ने स्कूल को फीस के संबंध में भी निर्देश जारी किया है। इस बाबत सरकार का निर्देश है कि सरकार तथा सार्वजनिक क्षेत्र में काम करने वाले अभिभावक नियमित वेतन लेते हैं और अपनी मासिक स्कूल फीस जमा करते हैं। जो अभिभावक फीस देने में सक्षम हैं, उन्हेंं भी फीस जमा करनी चाहिए। इसके इतर फीस देने में असमर्थ माता-पिता को फीस से राहत मिलनी चाहिए। जो अभिभावक फीस नहीं दे पा रहे हैं, उन्हेंं इससे छूट दी गई है। उन्हेंं शुल्क जमा नहीं कर पाने के बारे में एक आवेदन देना होगा और इसका कारण भी बताना होगा। इसके बावजूद, यदि कोई अभिभावक फीस जमा नहीं कर पाता है, तो भी न तो छात्र को ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित किया जाएगा और न ही स्कूल से नाम काटा जाएगा।
फीस तथा इसके निर्धारण को लेकर कुछ दिन पहले लखनऊ में अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा से मुलाकात की थी। उनको अवगत कराया गया कि कुछ अभिभावक सरकारी शासनादेशों का हवाला देते हुए फीस जमा नहीं कर रहे हैं, जिसके कारण शिक्षकों का वेतन देना उनके लिए मुश्किल है। ऐसे में डॉ. दिनेश शर्मा ने उनको बताया कि ऐसा कोई शासनादेश नहीं है। फीस के बारे में सरकार की तरफ से सिर्फ इतना ही निर्देश है कि अभिभावकों के किसी भी कारण फीस जमा न करने पाने से किसी भी बच्चे को शिक्षा से वंचित न करें।