हॉन्ग कॉन्ग मुद्दे पर चीन पूरी दुनिया में घिरता जा रहा है. चीन ने हॉन्ग कॉन्ग की स्वायत्तता खत्म करने के मकसद से वहां नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू किया है, जिसका हॉन्ग कॉन्ग समेत पूरी दुनिया में विरोध हो रहा है. ब्रिटेन के बाद ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने भी गुरुवार को अपने यहां हॉन्ग कॉन्ग को लोगों को ‘सुरक्षित पनाह’ देने की बात कही. इससे चीन भड़क गया और ऑस्ट्रेलिया को चेतावनी दे डाली कि वह उसके आंतरिक मामले में दखल देने की कोशिश ना करे.
हॉन्ग कॉन्ग चीन के ‘वन नेशन टू सिस्टम’ का हिस्सा है जिसके तहत हॉन्ग कॉन्ग को कई मामलों में स्वायत्तता हासिल है. हालांकि, अब चीन नए सुरक्षा कानून के जरिए इस स्वायत्तता को छीनने की कोशिश कर रहा है. ब्रिटेन के उपनिवेश रहे हॉन्ग कॉन्ग को चीन को 1997 में सौंपा गया था. ब्रिटेन ने चीन से इस शहर को 2047 तक स्वायत्तता देने की गारंटी ली थी.
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने गुरुवार को कहा, हॉन्ग कॉन्ग की स्थिति बेहद चिंताजनक है और उनकी सरकार हॉन्ग कॉन्ग के नागरिकों का अपने देश में स्वागत करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है.
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री से एक रिपोर्टर ने पूछा कि क्या वह हॉन्ग कॉन्ग के नागरिकों को सुरक्षित पनाह देने पर विचार कर रहे हैं तो उन्होंने हां में जवाब दिया. उन्होंने कहा कि हॉन्ग कॉन्ग के जो भी नागरिक ऑस्ट्रेलिया आना चाहते हैं, वे उनकी मदद करने के लिए तैयार हैं. ऑस्ट्रेलिया माइग्रेंट वीजा या रिफ्यूजी प्रोग्राम के तहत हॉन्ग कॉन्ग के लोगों को अपने देश में बसने दे सकता है.
गुरुवार को ही अमेरिकी सांसदों ने नए सुरक्षा कानून के लिए जिम्मेदार चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने वाले बिल पर सहमति दी. इसके साथ ही, हॉन्ग कॉन्ग में कानून का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों का दमन करने वाले पुलिस अधिकारियों को भी अमेरिका प्रतिबंधित करेगा.
चौतरफा घिरे चीन ने अब धमकी देना शुरू कर दिया है. चीन के विदेश मंत्रालय ने ऑस्ट्रेलिया से कहा है कि वह सुरक्षा कानून को सही और वस्तुगत तरीके से देखे. चीन के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा, हॉन्ग कॉन्ग समेत चीन के किसी भी आंतरिक मामले में दखल देना बंद करें और गलत रास्ते पर आगे बढ़ने से खुद को रोकें.
ब्रिटेन ने भी हॉन्ग कॉन्ग के करीब साढ़े तीन लाख ब्रिटिश पासपोर्टधारकों और करीब 26 लाख अन्य लोगों के लिए ब्रिटेन में पांच साल के लिए बसने का रास्ता खोल दिया है. छह साल पूरे होने पर वे ब्रिटेन की नागरिकता के लिए आवेदन भी कर सकते हैं.
चीन ने ब्रिटेन के हॉन्ग कॉन्ग के लोगों को ब्रिटेन में बसाने के फैसले को लेकर भी तीखी प्रतिक्रिया दी है. चीनी प्रवक्ता ने कहा, “यह उनकी अपनी प्रतिबद्धताओं, अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मूल नियमों का गंभीर उल्लंघन है. चीन इसकी निंदा करता है और इसके खिलाफ आगे कदम उठाने का पूरा अधिकार रखता है जिसके नतीजे ब्रिटेन को ही भुगतने पड़ेंगे.”