वैश्विक महामारी कोरोना वायरस यानी COVID-19 ने अबतक दुनिया में पांच लाख से अधिक जान ले ली हैं. हर कोई इसकी वैक्सीन खोजने में लगा है. इस सबके बीच योगगुरु रामदेव की संस्था पतंजलि ने ‘कोरोनिल’ का दावा कर हर किसी को हैरान कर दिया गया.
दावा किया गया कि इससे कोरोना वायरस पीड़ित व्यक्ति ठीक हो गया है, ट्रायल में रिजल्ट भी शानदार आया है. लेकिन इसपर तुरंत विवाद भी हो गया. पहले आयुष मंत्रालय ने इस दवाई को ‘कोरोना की दवाई’ कहकर बेचने पर रोक लगा दी, लेकिन सफाई मिलने के बाद अब इस दवाई को एक इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में बेचा जा सकता है.
अब कोरोनिल के दावे, फिर उसपर उठे विवाद और अब इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में बिक्री तक क्या हुआ, एक बार पूरा मामला समझिए..
जब देश में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे थे तब रामदेव की संस्था पतंजलि ने एक दावा किया. जून के आखिरी हफ्ते में दावा किया गया कि कोरोनिल किट के जरिए कोरोना वायरस पीड़ितों का इलाज किया जा सकता है.
रामदेव ने अपने दावे में कहा कि शुरुआती तीन में ये दवाई देने से 67 फीसदी, तो एक हफ्ते में 100 फीसदी कोरोना पीड़ितों की स्थिति में सुधार हुआ है. उन्होंने इस दावे का आधार एक सफल ट्रायल बताया. इसी के साथ कोरोनिल किट में कुल तीन दवाईयों को लॉन्च किया गया.
पतंजलि के दावे के बाद देश और दुनिया में एक नई बहस छिड़ गई. इसी बहस के बीच आयुष मंत्रालय ने पतंजलि से पूरी सफाई मांगी, जिसमें ट्रायल, दवाई बनने की प्रक्रिया और रिसर्च की विस्तृत जानकारी देने को कहा गया.
इसी के साथ पूरी जांच होने तक इस कोरोनिल के ‘कोरोना वायरस की दवाई’ के नाम पर प्रचार करने से रोक लगा दी गई. जब विवाद बढ़ा तो रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की ओर से सफाई दी गई कि पतंजलि और आयुष मंत्रालय में सिर्फ कम्युनिकेशन गैप हुआ है, बाकी सब ठीक है.
इस लंबे विवाद के बीच 30 जून को एक बार फिर योगगुरु रामदेव, आचार्य बालकृष्ण मीडिया के सामने आए और इस पूरे विवाद को समझाया.
पहले तो रामदेव अपने विरोधियों पर बरसे और इस पूरे विवाद को आयुर्वेद के खिलाफ साजिश करार दिया. उन्होंने कहा कि हमने कोरोनिल को सिर्फ एक कोरोना के मैनेजमेंट के रूप में पेश किया, जिसमें ये शरीर के अंदर आंतरिक इम्युनिटी को बढ़ाता है.
पतंजलि की ओर से दावा किया गया कि कोरोनिल बनाने में क्लीनिकल कंट्रोल का ट्रायल किया है. क्लीनिकल ट्रायल के जो भी पैरामीटर्स हैं, उनके तहत हमने रिसर्च की है. रजिस्ट्रेशन से लेकर क्लीनिकल ट्रायल के हर नियम का पालन किया गया है. साथ ही कहा कि क्या सिर्फ सूट-टाई पहने लोग ही रिसर्च कर सकते हैं?
इस पूरी सफाई, रिसर्च के पेपर पेश करने और प्रक्रिया को समझाने के बाद केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने कोरोनिल को बिक्री की मंजूरी दे दी.
आयुष मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि पतंजलि कोरोनिल को बाजार में बेच सकते हैं, लेकिन एक इम्युनिटी बूस्टर के रूप में. यानी इसे कोरोना वायरस की दवाई नहीं कहा जाएगा. बल्कि कोरोना को मैनेज या काबू में करने वाला बूस्टर कहा जा सकता है.
कोरोनिल बनाने की पूरी प्रक्रिया को अब कोविड मैनेजमेंट नाम दिया गया है. मंत्रालय की परमिशन के बाद अब पतंजलि कोरोनिल किट की तीन दवाई दिव्य कोरोनिल टैबलेट, दिव्य श्वासारी, दिव्य अणु तेल को पूरे देश में बेच सकते हैं. इसके तहत पतंजलि को उत्तराखंड सरकार के तहत आयुर्वेदिक सर्विस के तहत लाइसेंस मिला है.
दरअसल, कई रिसर्च में दावा है कि जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है उनमें कोरोना वायरस जल्दी घर कर जाता है. ऐसे में डॉक्टर और एक्सपर्ट सलाह दे रहे हैं कि लोग अपनी इम्यूनिटी को बेहतर बनाएं रखें और लगातार इसका ध्यान रखें.