मुंबई के कारखाने हुए ठप अब प्रवासी मजदूरों के बगैर होगा बड़ा घाटा

महाराष्ट्र से प्रवासी मजदूरों की दुखद वापसी का असर अब वहां के उद्योगों पर दिखने लगा है. अनलॉक प्रक्रिया शुरू होने के बाद महाराष्ट्र के उद्योग धंधे अब आहिस्ता-आहिस्ता शुरू होने लगे हैं.

कारखानों और फैक्ट्रियों में सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क, सैनिटाइजर इत्यादि सभी चीजों की मौजूदगी है, अगर वहां कोई नहीं मौजूद है तो वो है मजदूर. जिनके पसीने के दम पर कारखाने चलते थे. लिहाजा उद्योगों के शुरू होने के बावजूद वहां सन्नाटा छाया हुआ है.

मुंबई में टीम ऐसे ही दो कारखानों का जायजा लेने पहुंची. जिसमें एक लार्ज स्केल इंडस्ट्री थी तो दूसरी स्मॉल स्केल इंडस्ट्री.

मुंबई के औद्योगिक इलाकों में सामान्य दिनों में चहलकदमी हुआ करती है. लेकिन कोरोना संक्रमण के बाद खुले इन इलाकों में अब इक्के-दुक्के लोग ही दिखाई देते हैं.

जगजीत सिंह एन एस इंडस्ट्रीज के मालिक हैं. उनका एक लघु उद्योग इंजीनियरिंग इंडस्ट्री है. आम तौर पर उनके कारखाने में 25 मजदूर काम करते हैं, लेकिन अभी उनके यहां मात्र 4 लोग काम करते हैं. क्योंकि सारे मजदूर लॉकडाउन के दौरान घर चले गए.

जगजीत सिंह कहते हैं, “ज्यादातर मजदूर घर चले गए हैं, हमने उन्हें तीन महीने की तनख्वाह दी, लेकिन वे लोग बहुत डरे हुए थे. मैं उनसे लगातार फोन पर बात करता रहता हूं, वे आना भी चाहते हैं, लेकिन अभी नहीं. उनका कहना है कि एक बार जब मुंबई से कोरोना वायरस खत्म हो जाए तो वे जरूर आएंगे.

अभी जो मजदूर काम कर रहे हैं उनके लिए मेरे घर से खाना आता है, मैं अपनी गाड़ी से उन्हें फैक्ट्री लाता हूं और घर छोड़ता हूं. हमारा धंधा बुरी तरह से प्रभावित हुआ है, सिर्फ 30 प्रतिशत बिजनेस हो रहा है. मैं तो उनका ट्रेन का टिकट भी बनवाने को तैयार हूं, लेकिन वे अभी नहीं आना चाहते हैं.”

प्रशांत कॉनर्र फूड फूड फैक्ट्री के मालिक प्रशांत सकपाल ने कहा कि लॉकडाउन के बाद काफी चीजें बदली हैं. मजदूरों की कमी सबसे बड़ी समस्या है.

मेरी फैक्ट्री में लगभग 600 मजदूर काम करते थे, अब मुश्किल से 100 बचे हैं, उन्हीं के भरोसे काम हो रहा है. जब लॉकडाउन शुरू हुआ तो मैंने इन मजदूरों को गांव भिजवाया. अब वे वापस नहीं आना चाहते हैं. अभी सिर्फ 10 से 20 फीसदी बिजनेस हो पा रहा है. उम्मीद है कि चीजें ठीक होंगी.

 

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