कोरोना लॉकडाउन के बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) बिहार में वर्चुअल रैली कर रही है. केंद्रीय गृह मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह अपनी पार्टी के लिए बिहार में पहली वर्चुअल रैली ‘बिहार जनसंवाद’ को संबोधित कर रहे हैं.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने छह साल के अंदर करोड़ों गरीबों के जीवन में प्रकाश लाने का एक प्रयास किया है, जिसका सबसे बड़ा फायदा अगर किसी को हुआ है तो वो मेरे पूर्वी भारत के लोगों को हुआ है.
आवास, बिजली, बैंक खाते, स्वास्थ्य सेवाएं, गैस सिलेंडर, शौचालय, ये सब तो मोदी सरकार 2014-2019 तक के कार्यकाल में ही दे चुकी थी. 2019 में मोदी सरकार ने जल शक्ति मंत्रालय गठित करके देश के 25 करोड़ लोगों के घर में नल से शुद्ध जल पहुंचाने की योजना शुरू की.
विपक्ष पर हमला बोलते हुए शाह ने कहा कि राहुल गांधी हमेशा कहते थे कि किसानों का कर्ज माफ करो. 10 साल उनकी सरकार रही थी, तो वो दावा करते हैं कि करीब 3 करोड़ किसानों का 60 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने किसान सम्मान निधि के माध्यम से 9.5 करोड़ किसानों के बैंक खाते में 72,000 करोड़ रुपये हर साल डालने की व्यवस्था की.
आरसीईपी की चर्चा कांग्रेस शुरू करके गई थी. इसकी वजह से छोटे किसान, मछुवारे, छोटे कारोबारी, छोटे उद्योग ये सब तबाह हो जाते, लेकिन प्रधानमंत्री ने छोटे किसानों, छोटे व्यापारियों के हित में दृढ़ता से फैसला लेते हुए आरसीईपी समझौते से भारत को अलग कर लिया.
गृह मंत्री ने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत का विकास जो अब तक चला, उसमें पश्चिमी भारत और पूर्वी भारत के विकास में बहुत बड़ा अंतर है. आजादी के समय जीडीपी के अंदर पूर्वी भारत का योगदान बहुत ज्यादा होता था, परंतु आजादी के बाद से जिस प्रकार से सरकारें चली उन्होंने पूर्वी भारत के विकास से मुंह मोड़ लिया था और परिणाम ये आया कि पूर्वी भारत पिछड़ता गया.
शाह ने कहा कि बीजेपी की सरकार गरीबों की सरकार है. बिहार की धरती ने ही पहली बार दुनिया को लोकतंत्र का अनुभव कराया. जहां महान मगध साम्राज्य की नींव डाली गई. इस भूमि ने हमेशा भारत का नेतृत्व किया है. इस रैली का चुनाव से कोई संबंध नहीं है. भाजपा लोकतंत्र में विश्वास रखती है.
अमित शाह ने कहा कि आज जब मैं वर्चुअल रैली के माध्यम से आपसे संवाद कर रहा हूं तब कुछ लोगों ने अभी थाली बजाकर इस रैली का स्वागत किया है. मुझे अच्छा लगा कि देर-सवेर पीएम मोदी की अपील को उन्होंने माना. ये राजनीतिक दल के गुणगान गाने की रैली नहीं है. ये रैली जनता को कोरोना के खिलाफ जंग में जोड़ने और उनके हौसले बुलंद करने के लिए है.
कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए सरकार ने किसी भी तरह के जुटान पर पाबंदी लगाई है. लिहाजा अब चुनाव प्रचार जैसे काम भी वर्चुअल ही किए जा रहे हैं.
बिहार में इस साल अक्टूबर या नवंबर में विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं. अमित शाह की इस ऑनलाइन रैली को बिहार में बीजेपी के चुनाव प्रचार के आगाज के रूप में देखा जा रहा है. बिहार में राष्ट्रीय जनता दल ने चुनावी तैयारी कुछ दिन पहले ही शुरू की है. इसी क्रम में हाल में तेजस्वी यादव ने बस रैली निकाली थी.
बहरहाल, ऑनलाइन रैली के लिहाज से देखें तो बीजेपी ने यह काम सबसे पहले शुरू किया है. डिजिटल माध्यम से हो रहे इस तरह के पहले कार्यक्रम को बीजेपी हर तरह से कामयाब बनाने में जुटी है, वहीं इसे लेकर कार्यकर्ताओं में भी उत्साह देखा जा रहा है.
रैली को लेकर प्रदेश बीजेपी मुख्यालय में खास इंतजाम किया जा रहा है. कार्यक्रम का संचालन पटना से ही होगा. इस दिन मुख्यालय में प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी सहित सभी वरिष्ठ नेताओं के रहने की संभावना है. फिलहाल बिहार में बीजेपी का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के साथ गठबंधन है. अमित शाह पहले ही कह चुके हैं कि विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार की अगुआई में लड़ा जाएगा. यही बात बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी दोहरा चुके हैं.