बिहार में बड़े पैमाने पर रेलवे घोटाले के खुलासा हुआ है. भारतीय रेलवे में मृतकों को मिलने वाले मुआवजा में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है. रेलवे की शिकायत पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने तीन एफआईआर दर्ज की है और मामले की जांच शुरू कर दी है.
बिहार की राजधानी पटना में क्लेम्स ट्रिब्यूनल में डेथ क्लेम (मौत का दावा) फाइल किए गए और मुआवजे की मामूली रकम दावेदारों को दी गई. जबकि बाकी रकम जब्त कर ली गई. इस गड़बड़ी में रेलवे के अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई है.
सीबीआई की जांच में खुलासा हुआ कि साल 2015 से 2017 के बीच अज्ञात रेलवे कर्मचारियों ने ए़डवोकेट कुमारी रिंकी सिन्हा और ए़डवोकेट बिद्यानंद सिंह और अन्य अज्ञात के साथ मिलकर रेलवे के साथ धोखाधड़ी की साजिश रची.
सीबीआई के मुताबिक, इस आपराधिक साजिश के तहत एक्सीडेंटल डेथ के केस में मिले मुआवजे की मामूली रकम शिकायतकर्ताओं को दी गई और बाकी की रकम को साजिश रचने वालों ने गबन कर लिया.
अब सीबीआई 2500 से ज्यादा एक्सीडेंटल डेथ मामलों की जांच कर रही है. सीबीआई को पता चला कि रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल में ए़डवोकेट कुमारी रिंकी सिन्हा और ए़डवोकेट बिद्यानंद सिंह ने एक्सीडेंटल डेथ के कुछ मामलों में दावेदारों की तरफ से पैरवी की.
इन मामलों में वकीलों की टीम ने इनका समर्थन किया. इस गड़बड़ी को देखते हुए सीबीआई ने आवेदनकर्ताओं से उनके बैंक अकाउंट का पूरा विवरण देने को कहा है.
सीबीआई की एफआईआर में कहा गया है, “आपराधिक साजिश के तहत बीएन सिंह और उनकी टीम के वकीलों ने मुआवजे के भुगतान के लिए दावेदारों (आवेदनकर्ताओं) के नए बैंक खाते खोले.
दावेदारों के संबंधित बैंक खातों में डिक्री राशि जमा की गई. दावेदारों को नए बैंक खातों के बारे में पता नहीं था, जिसमें राशि जमा की गई थी. राशि क्रेडिट होने के बाद, मुआवजे का एक बड़ा हिस्सा वकील या उनके करीबी रिश्तेदारों के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिया गया.”
सीबीआई ने पाया कि मुआवजे का केवल एक हिस्सा वकीलों की ओर से दावेदार को दिया गया. इस घोटाले में एंटी करप्शन ब्यूरो, पटना, सीबीआई ने रेलवे के अज्ञात कर्मचारियों बीएन सिंह, कुमारी रिंकी सिन्हा, विजय कुमार, राजीव कुमार, भारत कुमार गुप्ता, निर्मला कुमारी, परमानंद सिंह और अन्य अज्ञात के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) 420 (धोखाधड़ी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 ए के तहत मामले दर्ज किए हैं.