इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ में सीएए विरोध के दौरान विगत दिनों हुई हिंसक झड़प को लेकर सड़क किनारे आरोपियों के पोस्टर व फोटो लगाने को गंभीर प्रकरण माना है। रविवार को इस मामले पर सुनवाई हुई, जिसके बाद अदालत ने कहा कि सोमवार दोपहर में फैसला सुनाया जाएगा।
सुनवाई के दौरान सरकार ने कहा कि जिन लोगों पर कार्रवाई की गई है वो कानून तोड़ने वाले लोग हैं। अदालत में दायर की गई याचिका का विरोध करते हुए सरकार ने कहा कि ऐसे लोगों के खिलाफ जनहित याचिका दायर नहीं होनी चाहिए।
चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर एवं जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने सुनवाई के प्रारंभ में अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी से मौखिक रूप से कहा कि यह विषय गंभीर है। ऐसा कोई भी कार्य नहीं किया जाना चाहिए जिससे किसी के दिल को ठेस पहुंचे।
पोस्टर लगाने को बेंच ने कहा कि यह राज्य के प्रति भी अपमान है और नागरिक के प्रति भी। यह भी कहा कि आपके पास 3 बजे तक का समय है। कोई जरूरी कदम उठाना हो तो उठा सकते हैं।
अपने आदेश में कोर्ट ने कहा है कि पोस्टरों में इस बात का कहीं जिक्र नहीं है कि किस कानून के तहत ये पोस्टर लगाए गए हैं। हाईकोर्ट का मानना है कि सार्वजनिक स्थान पर संबंधित व्यक्ति की अनुमति के बिना उसका फोटो या पोस्टर लगाना गलत है। यह राइट टू प्राइवेसी (निजता के अधिकार) का उल्लंघन है।
आपको बता दें कि पांच मार्च को सीएए व एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में सरकारी व निजी संपत्तियों की भरपाई के लिए प्रशासन ने चिह्नित 53 उपद्रवियों से वसूली का अभियान शुरू कर दिया है। इसके लिए प्रशासन ने क्षेत्रवार डुग्गी पिटवाना शुरू कर दिया है।
राजधानी के प्रमुख चौराहों पर उपद्रवियों की तस्वीर वाली होर्डिंग भी लगवाई गई है। इसकी शुरूआत बृहस्पतिवार (पांच मार्च) से हो गई। हजरतगंज सहित कई प्रमुख चौराहों पर इन चिह्नित उपद्रवियों की तस्वीर वाली होर्डिंग लगा दी गई है।
जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश के मुताबिक, राजस्व कोर्ट स्तर से नुकसान की भरपाई के लिए उपद्रवियों के खिलाफ रिकवरी नोटिस जारी किया गया है। इस हिंसक प्रदर्शन में 1.61 करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ है।
आरोपियों से नुकसान की भरपाई के लिए प्रशासन ने सख्ती करनी शुरू कर दी है। वहीं, ठाकुरगंज पुलिस ने सीएए व एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन में फरार मो. साहिल उर्फ मो. सादिक खान को गिरफ्तार किया है।