शिवसेना ने दिल्ली हिंसा को हृदय विदारक बताया है. शिवसेना के मुखपत्र सामना में अपने लेख में पार्टी के सांसद संजय राउत ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक तस्वीर के हवाले से लिखा कि दिल्ली के दंगों का दृश्य विदारक है.
मौत का अमानवीय तांडव देखकर यम भी इस्तीफा दे देंगे. हिंदू-मुसलमानों के मासूम बच्चे अनाथ हो गए. हम अनाथों की नई दुनिया बना रहे हैं. मुदस्सर खान के बच्चे का फोटो दुनियाभर में प्रकाशित हुआ. वो फोटो कलेजा चीरने वाला है.
संजय राउत ने लिखा, यह सच्चाई एक बार फिर दिल्ली के दंगों में दिखी. जब जातीय और धार्मिक दंगे होते हैं तब इंसानियत दिखाने वाले कई संगठनों द्वारा इसे भुनाया जाता है.
इसके लिए ‘भाईचारा’ घिसा-पिटा शब्द प्रचलित है. मानवता खो चुकी राजनीति, उस राजनीति से निर्माण होने वाला धार्मिक उन्माद और उस उन्माद से पैदा किया गया नया राष्ट्रवाद देश के बचे-खुचे इंसानों को मार रहा है.
संजय राउत ने कहा कि दिल्ली हिंसा में सैकड़ों लोगों का परिवार, रोजी-रोटी खाक हो गई. उस खाक से निकलकर खड़े हुए बेसहारा बच्चे अपना भूतकाल और भविष्यकाल खोज रहे हैं.
यह दृश्य राजनीतिज्ञों को दुख नहीं देता होगा तो उन्हें खुद को यम का वारिस घोषित कर देना चाहिए. दिल्ली में खून-खराबे वाला मौत का तांडव देखकर यम भी विचलित हो गया होता और उसने अपने पद से इस्तीफा दे दिया होता. देश का दृश्य भयानक है.
शिवसेना सांसद ने कहा कि दंगे, अकाल, बाढ़ में कितने लोग मर गए, इसके आंकड़े आते हैं. लेकिन इन सब में कितने बच्चे अनाथ व लावारिस हुए, इसके आंकड़े आने बाकी हैं.
दिल्ली हिंसा के बाद एक निरपराध बच्चे की फोटो दुनियाभर में प्रकाशित हुई. बाप की लाश के पास ये बच्चा क्रंदन कर रहा है. ये फोटो देखकर भी कोई हिंदू-मुसलमान ऐसा खेल करता रहेगा तो इंसान की हैसियत से जीने के लायक नहीं होगा.
उन्होंने कहा कि ‘शाहीनबाग’ में आंदोलन विवाद का मुद्दा बन सकता है. किसी ने वहां भड़काऊ भाषण दिया, किसी ने आग लगाई. ये सब कौन लोग थे, जिन्होंने 50 से ज्यादा लोगों के प्राण ले लिए? ऐसा सवाल कई निरपराध बच्चे और उनकी मां की आंखों से बहने वाले आंसू उठा रहे हैं.
ऐसा ही सवाल अंकित शर्मा की मां, राहुल सोलंकी के पिता और मुदस्सर खान के कोमल बच्चे की आंखों से न रुकने वाले आंसू पूछ रहे हैं. खून का रंग धर्म के अनुसार नहीं होता है. उसी तरह आंसुओं का भी नहीं होता है.