नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ गांधी शांति यात्रा लेकर लखनऊ पहुंचे देश के पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा यह कानून पूरी तरह असंवैधानिक है। यह सिर्फ समाज को बांटने और समाज में आग लगाने के लिए लाया गया है। इसके अलावा इसका कोई मकसद नहीं है।
उन्होंने कहा कि देश के गृहमंत्री अमित शाह ने लखनऊ में कहा कि यह कानून वापस नहीं लिया जाएगा चाहे जितना विरोध हो। उनका यह बयान अलोकतांत्रिक है। सरकार जनता के खिलाफ काम कर रही है। इस कानून की कोई जरूरत नहीं थी क्योंकि सरकार के पास पहले से ही अधिकार है कि वह जिसे चाहे देश की नागरिकता दे दे लेकिन अर्थव्यवस्था और बेरोजगारी जैसे गंभीर मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए इस कानून को लाया गया है।
बता दें कि यशवंत सिन्हा पूरे देश में सीएए के खिलाफ गांधी शांति यात्रा निकाल रहे हैं जो कि महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान होते हुए उत्तर प्रदेश पहुंची है। यात्रा का समापन 30 जनवरी को दिल्ली में राजघाट पर होगा। यात्रा की शुरुआत 9 जनवरी को गेटवे ऑफ इंडिया से हुई थी क्योंकि महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से यहीं पर लैंड हुए थे।
आज देश की अर्थव्यवस्था इतनी खराब हो चुकी है कि एअर इंडिया को खरीदार तक नहीं मिल रहे हैं। सरकार पूरी तरह कंगाल हो चुकी है। सरकार ने आरबीआई से करीब एक लाख 45 हजार करोड़ रुपये लेकर कुछ उद्योगपतियों को दे दिया। इससे अर्थव्यवस्था को कोई फायदा नहीं हुआ है। किसानों के पास आत्महत्या करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है।
यशवंत सिन्हा ने कहा कि इस कानून के अभी नियम ही नहीं बने हैं तो इसे लागू कैसे किया जा सकता है? कानून में कहा गया कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के लोगों का अगर धर्म के आधार पर उत्पीड़न हुआ है या फिर उनमें उत्पीड़न का डर है तो वह भारत में नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं पर आवेदकों का उत्पीड़न हुआ है इसे वह कैसे साबित करेंगे? इस पर कुछ नहीं कहा गया है। इसलिए इस कानून को लागू नहीं किया जा सकता।
वहीं, केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों पर कानून न लागू करने पर संविधान के उल्लंघन की दुहाई देने पर यशवंत सिन्हा ने कहा कि इस समय कई राज्यों के राज्यपाल संविधान के नुमाइंदे के तौर पर नहीं बल्कि भाजपा नेता की तरह काम कर रहे हैं। क्या ये संविधान का उल्लंघन नहीं है?
उन्होंने कहा कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर वर्तमान मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने के लिए लाए गए हैं। इनकी कोई आवश्यकता नहीं है। इन्हें वापस लिया जाना चाहिए।
– ये देश के संविधान के खिलाफ ही नहीं देश के मौलिक ढ़ाचे के खिलाफ है।
– इस कानून की आवश्यकता ही नहीं थी क्योंकि सरकार के पास पहले से ही अधिकार है कि वो जिसे चाहे नागरिकता दे। ये अर्थव्यवस्था की स्थिति से जनता का ध्यान हटाने के लिए ये बिल लाया गया है।
– इस कानून के नियम ही नहीं बने हैं। इसलिए इसे लागू नहीं किया जा सकता है।
प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि केंद्र सरकार अब नोटबंदी की बात ही नहीं करती क्योंकि वो भी फेल हो गया था। अब एक बार फिर से देश को लाइन में लगाने की कोशिश की जा रही है। हम नागरिकता कानून, एनआरसी और एनपीआर का विरोध करते हैं क्योंकि यह असांवैधानिक है।