सूर्यभेदी प्राणायाम ठंड की कंपकपी को करेगा छु मंतर

कड़ाके की ठंड पड़ रही है, बाहर निकलने पर बच्चे-बुजुर्ग और युवा ठंड की चपेट में आ रहे हैं। अक्सर कई बार ऐसी जगह पर होते हैं, जहां कंपकपी छूट रही होती है लेकिन अलाव आदि नहीं मिलता है।

ऐसे में योग में कई ऐसे आसन है, जो शरीर को गर्म करके ठंड से बचाव करते हैं। शरीर को गर्म रखने के लिए कई प्रकार की यौगिक क्रियाएं अपनाई जा सकती हैं, जिनसे सर्दी को शीर्षासन करा भगा सकते हैं। आइए आपको योगाचार्यों की जुबानी ठंड से बचाव के अचूक उपाए बताते हैं…।

योग गुरु डॉ. रविंद पोरवाल का कहना है कि सूर्यभेदी प्राणायाम का अभ्यास करने से शरीर का तापमान बढ़ता है। इसमें दाहिने नाक के छिद्र से सांस भर कर बाएं से छोड़ते हैं। ऐसा करने से शरीर का तापमान तेजी से बढ़ता है। इस प्राणायाम को कम से कम पांच मिनट करना चाहिए। इसी तरह अश्व चालन आसन का अभ्यास करना चाहिए।

इसमें पैर के पंजे एवं हाथ की हथेलियों के बल पर सामने की ओर देखते हुए फूंफकार वाली गहरी सांस लेते और छोड़ते हुए चलना चाहिए।

इस आसन का अभ्यास एक मिनट से अधिक नहीं करना चाहिए। इससे हाथ-पैर के तलवों और अंगुलियों की गलन ठीक होती है। इसी तरह षट्कर्म की क्रिया भस्त्रिका करना चाहिए। इसमें लोहार की धौकनी की तरह लंबी और गहरी सांस तेजी से लेना और छोडऩा होता है। इससे शरीर के रोम-रोम में गर्मी पैदा होती है, जो ठंड के प्रकोप से रक्षा करती है।

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