पीएम मोदी और शाह के खिलाफ बोले उपमुख्यमंत्री हमने बनाया डिटेंशन सेंटर

पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के दावे के उलट कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री जी करजोल ने कहा है कि राज्य सरकार ने अवैध प्रवासियों के लिए डिटेंशन सेंटर या हिरासत केंद्र बनाया है और इसकी क्षमता 30 लोगों की है। करजोल ने मंगलवार को कहा था कि अब गृह विभाग की जिम्मेदारी है कि वह अवैध प्रवासियों की पहचान करे और उन्हें इस डिटेंशन सेंटर में भेजे।

उन्होंने कहा कि सामाजिक कल्याण विभाग ने उनके खाने और रहने की व्यवस्था की है। सरकार ने उनके लिए इमारत बनाई है, ताकि वे अच्छी जगह रह सकें। इसका नाम विदेशी डिटेंशन सेंटर रखा गया है।

करजोल का यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान के उलट है, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि देश में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है। वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को एएनआई को दिए साक्षात्कार में कहा था कि पूरे देश में सिर्फ असम में एक डिटेंशन सेंटर है, बाकियों की उन्हें जानकारी नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा था कि भाजपा ने कोई डिटेंशन सेंटर नहीं बनाया है।

करजोल ने एएनआई को बताया कि राज्य में अवैध प्रवासियों के लिए पहला डिटेंशन सेंटर बनाया गया है। नेलामंगला सोंडेकोप्पा में बने इस डिटेंशन सेंटर में किचन के साथ पीने के पानी और शौचालय की भी व्यवस्था है। इसके बाहर 10 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं और तारबंदी की गई है।

आदेश मिला कि था एक जनवरी से पहले तैयार हो केंद्र: अधिकारी

राज्य के सामाजिक कल्याण विभाग ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्हें निर्देश मिला था कि एक जनवरी से पहले ही सेंट्रल रिलीफ सेंटर तैयार हो जाना चाहिए। यह इमारत 20 साल पुरानी है और यह बीते 18सालों से गरीबों के रहने के काम में लाई जा रही है, लेकिन बीते दो सालों से यह तकरीबन खाली है। चूंकि इसमें खाना, आवास और कपड़े दिए जाते हैं इसलिए इसकी देखभाल विभाग करता है।

इसे पूरी तरह हिरासत केंद्र कहना गलत: बोम्मई

राज्य के गृहमंत्री बासवराज बोम्मई के मुताबिक इसे पूरी तरह से हिरासत केंद्र नहीं कहा जा सकता और इसका नागरिकता के मुद्दे से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि इसे ऐसे अफ्रीकी नागरिकों के लिए बनाया गया है जो तय समय से अधिक भारत में रह रहे हैं और नशे के कारोबार में संलिप्त हैं, और कानून-व्यवस्था में बाधा डालते हैं। उन्होंने कहा कि यह हिरासत केंद्र नहीं बल्कि सुविधा केंद्र है। यह बेंगलूरू से 30 किलोमीटर दूरी पर यह सोंडेकोप्पा गांव में स्थित है।

गलवार को पत्रकारों से बात करते हुए गृह मंत्री ने कहा, सही शब्दों में कहा जाए तो यह हिरासत केंद्र नहीं है। इसका नागरिकता के मुद्दे से कोई मतलब नहीं है यह किसी को हिरासत में रखने के लिए नहीं बनाया गया है। गृह मंत्री ने यह भी कहा कि मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, कर्नाटक में कोई सुविधा केंद्र काम कर रही है। यदि इसे चालू कर दिया गया है तो वहां कुछ बंदियों को होना चाहिए। लेकिन वहां कोई नहीं है।

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