निर्भया गैंगरेप और हत्या के मामले में दोषी पाए जाने वाले अक्षय सिंह की पुनर्विचार याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने दोषी अक्षय सिंह की याचिका पर दलीलें सुनने के बाद फांसी की सजा पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. इससे मामले के दोषी अक्षय सिंह सहित चारों दोषियों की फांसी की सजा का रास्ता साफ़ हो गया है. अब ये तय होना है कि फांसी किस दिन होगी. सुप्रीम कोर्ट ने ही चारों को दोषी पाते हुए फांसी की सजा सुनाई थी. इस पर एक दोषी अक्षय सिंह ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी. जस्टिस आर बनुमथी, ए एस बोपन्ना और अशोक भूषण की एक नई तीन-न्यायाधीश पीठ ने इस मामले की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई की.
निर्भया केस के चारों गुनहगारों मुकेश, अक्षय सिंह, पवन और विनय को फांसी दी जाएगी. ये चारों इस समय तिहाड़ जेल में बंद हैं. ये पहला नहीं है जब एक साथ चार लोगों को फांसी दी जायेगी. इससे पहले भी एक बार ऐसा हो चुका है. इससे पहले 27 नवंबर 1983 को जोशी अभयंकर मामले में एक साथ चार लोगों को फांसी दी गई थी. जोशी अभयंकर मामला दस लोगों की हत्या से जुड़ा था. ये मामला इतना बड़ा था कि कोर्ट ने इस कृत्य के लिए चार दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी. और चारों को पुणे की यरवदा जेल में फांसी दी गई थी.
पहले चार लोगों को फांसी तो दी जा चुकी है, लेकिन ये पहला मौका है जब रेप के मामले में एक साथ चार लोगों को फांसी दी जाएगी. ये फांसी चार साल पहले 2015 में दी गई थी. जबकि रेप के मामले में पिछली बार फांसी 2004 में दी गई थी. पश्चिम बंगाल के धनंजय चटर्जी को फांसी दी गई थी. धनंजय ने 14 साल की लड़की की रेप के बाद बेरहमी से हत्या की थी. इसके बाद धनंजय को फांसी की सजा सुनाई गई थी. ये मामला 14 साल चला था. धनंजय को फांसी कोलकाता की अलीपुर जेल में दी गई थी. धनंजय को सुबह चार बजे जल्लाद ने फांसी पर लटका दिया था. इस काम को कोलकाता के जल्लाद नाटा मलिक ने अंजाम दिया था.