सौंदर्य व सेहत का जलवा इंसानों में ही नहीं बल्कि पशुओं में भी देखने को मिल सकता है। Progressive Dairy Farmers Association (पीडीएफए) के तीन दिवसीय International dairy and Agro Expo में पंजाब-हरियाणा के पशुपालकों ने अपने दुधारू व अन्य पशुओं को प्रदर्शित किया। खास बात यह है कि हट्टे-कट्टे पशुओं को देश-विदेश के प्रसिद्ध राजनेताओं का नाम दिया गया है। पशुओं की सुंदरता को बरकरार रखने के लिए उन पर सालाना लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं। इन्हें देखने के लिए यहां लोगों का हुजूम उमड़ रहा है।
भैंसे को मशहूर करने के लिए नाम दिया मोदी
फाजिल्का के जलालाबाद स्थित बैरोकी गांव के पशु पालक बौड़ सिंह के पास 50 से अधिक पशु हैं, जिसमें 22 भैंसे व 28 भैंसें हैं। मोदी भैंसा सबसे लोकप्रिय है। बौड़ सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम दुनिया भर में मशहूर है, इसलिए उन्होंने भैंसे को मशहूर करने के लिए उसका नाम मोदी रखा। चार वर्षीय भैंसा मुर्रा नस्ल का है। 15 क्विंटल के भैंसे को खूबसूरत व आकर्षित बनाए रखने के लिए दस हजार रुपये प्रतिमाह खर्च होते हैं। इसके एक एक व्यक्ति रखा गया है, जो उसके चेहरे का पूरा मेकअप, सींगों पर काला पेंट व रेगुलर बॉडी मसाज करता है। मोदी भैंसा पहली बार डेयरी व Agro Expo में लाया गया है और भविष्य में इसको प्रतियोगिताओं में भागीदार बनाया जाएगा। इस भैंसे की मां का नाम लक्ष्मी है।
मोगा के तख्तपुरा गांव के सरबजीत सिंह अपने मुरहा नसल के अलबख्श भैंसा के साथ।
बुश का पिता बलि है चैंपियन, वजन 13 क्विंटल
फरीदकोट के गांव घनिया के पशुपालक जय भगवान सिंह ने अपने भैंसे का नाम अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बुश के नाम पर रखा है। इसका वजन 13 क्विंटल है और इसकी सुंदरता व रखरखाव व खुराक पर प्रतिदिन एक हजार रुपये खर्च होते हैं। भगवान सिंह के पास आठ और पशु भी हैं। बुश का पिता बलि चैंपियन है।
सुखबीर लतानी व रमेश कुमार की भैंस सरस्वती सबसे ज्यादा चर्चा में रही। इसने 2019 में दूध देने का विश्व रिकॉर्ड तोड़ा है। मुर्रा नस्ल की सरस्वती रोज 33 किलो दूध देती है।
सरस्वती ने तोड़ा 2019 का विश्व रिकॉर्ड, रोज देती है 33 किलो दूध
हरियाणा के हिसार जिले के लतानी गांव से आए पशु पालक सुखबीर लतानी व रमेश कुमार ने बताया कि उनकी भैंस सरस्वती ने 2019 में दूध देने का विश्व रिकॉर्ड तोड़ा है। मुर्रा नस्ल की सरस्वती रोज 33 किलो दूध देती है। सुखबीर लतानी ने बताया कि सरस्वती की खुराक के साथ इसकी खूबसूरती पर भी पूरा ध्यान रखा जाता है।
बलि का अलबख्श बना चैंपियन
मोगा के गांव तख्तपुरा के पशु पालक सरबजीत सिंह का आठ वर्षीय बलि वर्ष 2014 से 2017 तक ऑल इंडिया चैंपियन रहा। मुर्रा नस्ल के बलि के साथ उसके बच्चे भी अब विभिन्न प्रतियोगिताओं में वाह-वाही लूट रहे हैं। इस बार बलि का बेटे अलबख्श ने दो दांतों के कारण Championship जीती है। पशुपालक सरबजीत सिंह ने बताया कि इन पशुओं के सीमन बेचे जाते हैं। इन पशुओं की सुंदरता के लिए कटिंग व मालिश करवाई जाती है।