खुले में शौचमुक्त अभियान को कामयाब बनाने की दिशा में सरकार लोगों को खुले में शौच न करने के साथ-साथ अपने घरों में शौचालयों का निर्माण कराने के लिए प्रेरित कर रही है। खुले में शौच जाने से होने वाली हानियों व शौचालय निर्माण के प्रति लोगों को जागरूक करते हुए बताया जा रहा है कि खुले में शौच जाने से अनेकों गंभीर बीमारियां फैलती हैं, इसलिए बीमारियों से बचाव के लिए लोगों को अपने घरों में शौचालयों का निर्माण अवश्य करवाना चाहिए।
दरअसल, खुले में शौच करने से वातावरण में कीटाणु फैलते हैं, जिससे उल्टी दस्त, मलेरिया, हैजा, पीलिया और टाइफाइड जैसी घातक बीमारियां फैलती हैं। इसीलिए अक्सर देखा गया है कि, जहां लोग खुले में शौच करते हैं, उस इलाके के अधिकतर लोग बीमारियों में अपना पैसा और समय दोनों बर्बाद कर रहें हैं। दरअसल, खुले में पड़े हुए मल से न सिर्फ भू-जल प्रदूषित होता है, बल्कि कृषि उत्पाद भी इस प्रदूषण से अछूते नहीं रहते। संक्रमण फैलाने वाले कीटाणु मल से मुँह तक पहुँच जाते हैं I संक्रमित शख्स के मल में हजारों की तादाद में कीटाणु एवं कीड़ों के अण्डे पाये जाते हैं। गन्दे हाथों, अंगुलियों या प्रदूषित भोजन एवं पानी द्वारा यह मुँह तक पहुँच जाते हैं। इन बिमारियों में से मुख्य रूप से अतिसार, मोतीझरा गैस्ट्रोइन्ट्राइटिस (आंत्र शोध), पेचिश, पीलिया, हैजा, पेट में कीड़े जैसे पेट सम्बन्धी रोग या चमड़ी व आँख के विभिन्न संक्रमण शामिल हैं।
जब भी खुले में शौच जाते है तो उस पर मक्खियाँ लग जाती है, यही मक्खियां भोजन पर बैठकर उसे प्रदूषित करती हैं। मक्खियाँ जब मल में बैठने के बाद भोजन पर बैठती हैं, तो वे अपने साथ लाए मल में मौजूद कीटाणुओं से उसे दूषित कर देती हैं। ऐसे भोजन खाने से कीटाणु शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। अगर खाने वाले बर्तनों पर मक्खियाँ बैठे या गन्दे हाथ लगाए जाएँ तो वे भी गन्दे हो जाते हैं। ऐसे बर्तनों में खाने से कीटाणु शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। खुले मे शौच करने से पर्यावरण भी दूषित होता है, जो हमारे खाद्य पदार्थो में कीटाणु फैला देता है जिससे भी बीमारिया बढ़ जाती है I