होम लोन को गुड लोन की श्रेणी में रखा गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसके जरिये आप एक एसेट बनाते हैं जिसकी कीमत सालों साल बढ़ती ही जाती है। दूसरा फायदा यह है कि आपको होम लोन के मूलधन के भुगतान पर धारा 80सी के तहत 1.50 लाख रुपये तक की छूट मिलती है। वहीं, ब्याज के भुगतान पर धारा 24बी के तहत आप साल में 2.50 लाख रुपये तक का लाभ इनकम टैक्स में पा सकते हैं। हालांकि, लंबे समय तक चलने वाली इसकी मासिक किस्त किसी भी व्यक्ति का सबसे बड़ा मासिक खर्च होता है। कितना अच्छा हो अगर EMI का बोझ कुछ कम हो जाए। आज हम इसी बात की चर्चा करेंगे कि होम लोन की EMI के बोझ को कैसे कम किया जा सकता है।
हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि वे रेपो रेट जैसे एक्सटर्नल बेंचमार्क के साथ अपने फ्लोटिंग रेट लोन्स को जोड़ें। इसके बाद ज्यादातर बैंकों ने रेपो रेट लिंक्ड लोन्स लॉन्च किया है, खास तौर से सरकारी बैंकों ने। रेपो रेट लिंक्ड का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आरबीआई जब कभी रेपो रेट में कटौती करेगा, आपकी मासिक किस्तों का बोझ कम होगा।
होम लोन ट्रांसफर करवाने से पहले लोन मार्केट का एक बार जायजा ले लीजिए और अपने मौजूदा होम लोन की दर से इसकी तुलना कीजिए। अगर ब्याज दर में फर्क इतना है कि आपकी ईएमआई का बोझ अच्छा खासा कम हो सकता है तो उस पर विचार कीजिए। अभी सबसे सस्ते होम लोन की दर 7.95 फीसद है। यह 30 लाख रुपये तक के होम लोन के लिए महिलाओं को ऑफर किया जा रहा है। आपके लोन की ब्याज दर कर्ज की रकम, लोन टु वैल्यू रेशियो, आय के स्रोत और क्रेडिट स्कोर आदि पर निर्भर करता है।
कितनी बचत कर लेंगे आप?
मान लीजिए कि आपने एक साल पहले 9.10 फीसद की दर पर 50 लाख रुपये का होम लोन लिया है। रेपो रेट में 1.35 फीसद की कटौती के बाद मान लेते हैं कि आपके होम लोन की दर अभी 8.8 फीसद है। हालांकि, अभी कई बैंक 8.5 फीसद से कम ब्याज दर पर होम लोन ऑफर कर रहे हैं। अब, एक साल तक ईएमआई देने के बाद आपके लोन की बकाया राशि 49 लाख रुपये के आसपास होगी।
मान लेते हैं कि 8.8 फीसद की यह दर अगले 19 साल तक बनी रहेगी। ऐसे में आप कुल ब्याज के तौर पर 52 लाख रुपये देंगे। दूसरी तरफ, अगर आप 8.2 फीसद की दर से अगले 19 साल तक ब्याज देते हैं तो कुल राशि 49 लाख रुपये होगी और आप 3 लाख रुपये बचा पाएंगे।
सबसे पहले अपने कर्जदाता से करें बात
ब्याज दर घटाने के लिए आपको सबसे पहले अपने कर्जदाता से बात करनी चाहिए। हो सकता है कि कापका कर्जदाता कुछ फीस लेकर ब्याज दरों में कटौती कर दे। अगर आपका लोन बेस रेट से संबद्ध है तो आपकी ब्याज दरें रेपो रेट लिंक्ड लोन की तुलना में अधिक होगी। इसे रेपो रेट लिंक्ड होम लोन में ट्रांसफर करवाने का प्रयास करें।
अगर आपने गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान (NBFC) या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी (HFC) से लोन लिया है तो उनके लिए एक्सटर्नल बेंचमार्क से लोन को जोड़ना अनिवार्य नहीं है। ऐसे मामलों में आपको किसी बैंक में अपना लोन ट्रांसफर करवा लेना चाहिए।
दूसरे बैंकों के विकल्पों की करें तुलना
अगर आप होम लोन ट्रांसफर करवाने की सोच रहे हैं तो सबसे पहले आपको ब्याज दरों की तुलना करनी चाहिए। उसके बाद यह सुनिश्चित करना चाहिए कि होम लोन ट्रांसफर करवाने में कितने पैसे खर्च होंगे। आपका नया कर्जदाता प्रोसेसिंग फीस, लीगल फीस और आपके लोन का एक खास प्रतिशत आपसे ले सकता है। यहां इस बात पर भी गौर करें कि नया लोन लेने के बाद ब्याज में आप कितनी बचत कर रहे हैं। अगर आपको ज्यादा फायदा हो रहा है तो लोन ट्रांसफर करवा सकते हैं।